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Owl the ride of Lakshmi Maa: उल्लू कैसे बना मां लक्ष्मी का वाहन? पढ़ें पौराणिक कथा

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Fri, 07 Jun 2024 08:30 AM IST
सार

Maa Laxmi Ji ka Vahan: धन, समृद्धि, सुख और शांति पाने के लिए लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

Maa Laxmi Ji ka Vahan
Maa Laxmi Ji ka Vahan- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Maa Laxmi Ji ka Vahan: धन, समृद्धि, सुख और शांति पाने के लिए लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा हो जाए तो उसके जीवन में कभी भी धन, समृद्धि और वैभव की कमी नहीं होती। सनातन धर्म में जिस तरह सभी देवी-देवताओं का वाहन कोई न कोई पशु या पक्षी होता है, उसी तरह देवी लक्ष्मी ने भी उल्लू को अपना वाहन चुना। आइए जानते हैं देवी लक्ष्मी द्वारा उल्लू को अपना वाहन चुनने के पीछे की पौराणिक कथा।

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उल्लू कैसे बनाएं मां लक्ष्मी की सवारी

उल्लू सक्रिय स्वभाव का पक्षी है। यह अपना पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में लगातार काम करता रहता है। यह इस काम को पूरी लगन से करता है। लक्ष्मी के वाहन उल्लू से हमें यह सीख मिलती है कि जो व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है। मां लक्ष्मी हमेशा उन लोगों पर कृपा करती हैं जो मेहनती लोगों के घर में स्थाई रूप से निवास करते हैं।

कथा के अनुसार प्रकृति और पशु-पक्षियों की रचना के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहन चुन रहे थे, तब मां लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती पर आईं। तब सभी पशु-पक्षी मां लक्ष्मी के सामने प्रस्तुत हुए और उनसे आग्रह किया कि वे उन्हें अपना वाहन चुनें। तब लक्ष्मी जी ने सभी पशु-पक्षियों से कहा कि मैं कार्तिक मास की अमावस्या के दिन धरती पर विचरण करती हूं, उस समय जो भी पशु या पक्षी सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। अमावस्या की रात बेहद अंधेरी होती है, इसलिए इस रात सभी पशु-पक्षियों को कम दिखाई देता है। कार्तिक मास की अमावस्या की रात को जब देवी लक्ष्मी धरती पर आईं तो सबसे पहले उल्लू ने देवी लक्ष्मी को देखा और वह सभी पशु-पक्षियों से पहले देवी लक्ष्मी के पास पहुंचा क्योंकि उल्लू रात में भी देख सकता है। उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी ने उसे अपना वाहन चुना। तभी से देवी लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
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उल्लू का पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान रात्रिचर प्राणी है। उल्लू को भूत और भविष्य का पहले से ज्ञान होता है। देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू भारतीय संस्कृति में शुभता और धन का प्रतीक माना जाता है। दिवाली की रात उल्लू का दिखना लक्ष्मी आगमन का संकेत माना जाता है।

उल्लू से जुड़ी मान्यताएं

- यदि उल्लू सिर के ऊपर से उड़ रहा हो या आवाज करके पीछा कर रहा हो तो यात्रा शुभ होती है।
- पूर्व दिशा में बैठे उल्लू की आवाज सुनना या उसे देखना बड़े आर्थिक लाभ का सूचक माना जाता है।
- दक्षिण दिशा में बैठे उल्लू की आवाज शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करती है। सुबह के समय उल्लू की आवाज सुनना शुभ और लाभकारी माना जाता है।
- धार्मिक मान्यता है कि यदि गर्भवती महिला उल्लू को छू ले तो उसकी संतान उत्तम होती है।
- यदि उल्लू किसी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को अचानक छू ले तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है।

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