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Ramayana And Life Mantra: जीवन में हमेशा रहना चाहते हैं सुखी और प्रसन्न, तो रामायण से सीखें यह 5 बातें

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Tue, 07 May 2024 04:42 PM IST
सार

Ramayana And Life Mantra: रामायण हिंदूओं का एक प्रमुख पवित्र ग्रंथ है। जिसमें अनुशासन, मर्यादा, कर्तव्य और बुराईओं को कैसे परस्त किया जा सकता है इन सब बातों को विस्तार से बताया गया है।

Ramayana And Life Mantr
Ramayana And Life Mantr- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Ramayana And Life Mantra: रामायण हिंदूओं का एक प्रमुख पवित्र ग्रंथ है। जिसमें अनुशासन, मर्यादा, कर्तव्य और बुराईओं को कैसे परस्त किया जा सकता है इन सब बातों को विस्तार से बताया गया है। रामायण के हर एक प्रसंग में कुछ न कुछ ऐसी बातें जरूर है जिसे देखकर और सीखकर अपने जीवन में जरूर पालन करना चाहिए। रामायण की सीख से तमाम तरह तनाव और परेशानियों से बचा जा सकता है।   रामायण के हर प्रसंग में कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें अवश्य देखना, सीखना और जीवन में अपनाना चाहिए। रामायण सीखने से कई तरह के तनाव और समस्याओं से बचा जा सकता है।
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रामायण और जीवन मंत्र

1- मर्यादा और अनुशासन
अनुशासन और मर्यादा किसी भी इंसान का सबसे अच्छा गुण माना जाता है। भगवान राम का व्यक्तित्व मर्यादा और अनुशासन से परिपूर्ण था। भगवान राम ने जीवन की हर जिम्मेदारी को अपनी मर्यादा और अनुशासन में रहकर बखूबी निभाया है। भगवान राम के इन दो गुणों को अपने जीवन में अपनाकर हम एक अच्छे इंसान बन सकते हैं और सुखी जीवन जी सकते हैं।

2- दया और प्रेम का भाव
सबके प्रति दयालु और प्रेमपूर्ण रहना रामायण जैसे महान ग्रंथ से सीखा जा सकता है। भगवान राम ने करुणा और प्रेम के कई रिश्ते निभाए हैं। उन्होंने प्रेम की भावना से एक पुत्र, भाई, पति और राजा की जिम्मेदारियां निभाईं। यदि कोई व्यक्ति भगवान राम के इन दो गुणों को अपना लेता है तो उसके जीवन में सदैव सुख और संतुष्टि का भाव रहेगा।
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3- विविधता में एकता
अगर हम किसी चीज पर सामूहिक रूप से काबू पाना चाहते हैं तो एकता बहुत जरूरी है। विविधता में एकता कैसे होनी चाहिए, इसकी बड़ी सीख रामायण देती है। रावण को हराने के लिए भगवान राम की सेना में इंसानों और जानवरों समेत कई तरह के लोग शामिल हुए। राम सहित चारों भाइयों के चरित्र अलग-अलग होते हुए भी सभी में एकता थी। विविधता के बावजूद अगर हम किसी भी समस्या से मिलकर लड़ेंगे तो निश्चित रूप से उस पर काबू पा लेंगे।

4- भरोसा
विश्वास किसी भी रिश्ते की सबसे बड़ी पूंजी है। भगवान राम ने 14 वर्ष वनवास में बिताने के बाद कैकेयी से किया अपना वादा निभाया। इतना सब कुछ होते हुए भी भगवान राम का अपने सभी भाइयों से समान प्रेम था। जबकि राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने राम के साथ 14 साल वनवास में बिताए, भरत ने अयोध्या के राज्य को अस्वीकार कर दिया। यह सब विश्वास और रिश्तों की डोर को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।

5- सभी के साथ समान व्यवहार
भगवान राम के व्यक्तित्व से सभी प्राणियों के प्रति एक समान आचरण रखने की सीख देता है। भगवान राम ने कभी भी भेदभाव के साथ किसी से आचरण नहीं किया। उन्होंने हर जाति, उम्र, लिंग और पद के साथ एक जैसा व्यवहार किया। ऐसे में हमे भगवान राम के समानता के गुण से सीखना चाहिए।

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