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Why Krishna Wear Mormukut: भगवान श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है मोरमुकुटधारी? पढ़ें इसके पीछे की कहानी

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Fri, 24 May 2024 08:00 AM IST
सार

Why Krishna Wear Mormukut: अनेक ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई लीलाएं और मान्यताएं हैं। भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट में मोर पंख लगाते थे, इस कारण से कृष्ण भगवान को मोर मुकुटधारी भी कहा जाता है।

Why Krishna Wear Mormukut
Why Krishna Wear Mormukut- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Why Krishna Wear Mormukut: अनेक ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई लीलाएं और मान्यताएं हैं। भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट में मोर पंख लगाते थे, इस कारण से कृष्ण भगवान को मोर मुकुटधारी भी कहा जाता है। माता यशोदा अपने कान्हा का खूब श्रृंगार करती थीं और उनके मुकुट पर हमेशा मोर पंख का लगाती थीं। कान्हा के मुकुट पर हमेशा मोर पंख क्यों सजा होता है? इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं।
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जब मोर को दिया आश्वासन

कहानी यह है कि जब त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया और जब श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास पर चले गये। तभी रावण ने वन में सीता का हरण कर लिया। तब राम और लक्ष्मण सीता की खोज में जंगलों में घूम रहे थे और सभी से सीता के बारे में पूछ रहे थे कि क्या उन्होंने सीता को कहीं देखा है? तब एक मोर ने कहा, प्रभु, रावण सीता माता को जहां ले गया है, वहां का रास्ता तो मैं आपको बता सकता हूं, लेकिन मैं आकाश मार्ग से जाऊंगा और आप पैदल जायेंगे। लेकिन आप अपना रास्ता भूल सकते हैं, इसलिए मैं अपना एक पंख गिराकर चला जाऊंगा ताकि आप अपना रास्ता न भटकें और इस तरह मोर ने श्री राम को रास्ता दिखाया लेकिन अंत में मोर के पंख उनके ऊपर गिरने के कारण उनकी मृत्यु हो गई एक विशिष्ट सीज़न में अपनाएं। यदि जानबूझकर इस तरह पंख गिरा दिए जाएं तो वह मर जाता है। श्री राम ने मोर से कहा कि वह इस जीवन में उनका उपकार नहीं चुका सकते लेकिन अगले जन्म में वह उनके सम्मान में पंख को अपने मुकुट में पहनेंगे और इस तरह विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया और इसे अपने मुकुट में पहना। . मोरपंख धारण किया।

श्रीकृष्ण को था कालसर्प योग

ज्योतिष मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की कुंडली में कालसर्प योग था। मोर और सांप की दुश्मनी है। यही वजह है कि कालसर्प योग में मोर पंख को साथ रखने की सलाह दी जाती है। कालसर्प दोष का प्रभाव करने के लिए भी भगवान कृष्ण मोरपंख को सदा साथ रखते थे।
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ब्रह्मचर्य का प्रतीक है मोर

श्रीकृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे एक प्रचलित कहानी है कि मोर ही सिर्फ ऐसा पक्षी है, जो जीवन भर ब्रह्मचर्य रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मादा मोर नर मोर के आंसू पीकर गर्भ धारण करती है। इस प्रकार श्री कृष्ण ऐसे पवित्र पक्षी के पंख को अपने माथे पर सजाते हैं।

मोरपंख से दूर होते है ग्रह दोष

मोर पंख को अपने हाथ में लें और उस ग्रह के मंत्र का 21 बार जाप करें और उस पर जल छिड़कें, इसके बाद मोर पंख को उचित स्थान पर रख दें। आते-जाते समय इस पर नजर रखने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

मोर पंख को घर में लगाने के लाभ

- मोर पंख को घर में रखने से कई तरह के अमंगल टल जाते हैं। यहीं कारण हैं कि ज्यादातर लोग अपने घरों में मोर पंख को लगाकर रखते हैं।
- यह हमारे घरों से नकारात्मक उर्जा को खत्म कर देता है। आपके घर की खुशियां बनी रहती हैं। आप चाहे तो मोर पंख को अपने पूजा घर में भी रख सकते हैं।
- अगर किसी के शादीशुदा जीवन में तनाव चल रहा है तो अपने शयनकक्ष में मोर पंख को रखें। इससे पति-पत्नी का प्यार बना रहेगा।
- अगर आपके घर में मोर पंख है तो कोई भी बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर सकती है। यह आपके घर में सकारात्मक उर्जा को बनाएं रखती हैं।

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