Shiv Purana: शिव पुराण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि भगवान् विष्णु की कृपा से दम्भ नाम के दानव के यहां शंखचूड़ नाम का पुत्र पैदा हुआ जो कि विष्णु भक्त और बेहद पराक्रमी था। उसने पुष्कर में ब्रह्मा जी की घनघोर तपस्या की। उसने अपने मन को एकाग्र किया और इन्द्रिय सुख को त्याग कर ब्रह्मविद्या का तप करना शुरु किया। उस दानव की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव खुद उसे वरदान देने के लिए पुष्कर में प्रकट हुए।
शंखचूड़ ने ब्रह्मा जी से वरदान माँगा कि देवता भी उसको न जीत पाए। उसे यह वरदान देकर ब्रह्मा जी ने उसे श्री कृष्ण का दिव्य कवच प्रदान किया और उससे कहा कि तुम अब बद्रिकाश्रम में जाओ और वहां धर्म ध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करो। वह भी उस वन में तप ही कर रही है। इसके बाद उस दानव ने उस कृष्ण कवच को गले में बाँध लिया और तुलसी के पास गया। मनोहर और सौम्य तुलसी को देखकर वह दानव अति प्रसन्न हुआ। उसने तुलसी से पूछा कि आप कौन है और इस वन में क्यों तप कर रही है ?
तुलसी ने कहा कि मैं धर्मध्वज की कन्या हूं और इस तपोवन में तप करती हूं। तुम कौन हो? इस वन से जल्दी से चले जाओ। इसके बाद मंद मुस्कान वाली तुलसी की ओर देखकर दानव बोला, तुम पतिव्रता हो और मैं भी कामी और दुष्ट नहीं हूं। हम दोनों की एक ही बुद्धि है। मैं स्वयं ब्रह्मा जी की आज्ञा से आया हूं और तुम्हारे साथ गांधर्व विवाह करके का इच्छुक हूं। मैं पिछले जन्म में श्री कृष्ण का गोप था और राधिका के श्राप से दनु के वंश में पैदा हुआ हूं।
मुझे कृष्ण की कृपा से मेरे पिछले जन्म का स्मरण है। मैं शंखचूड़ हूं और देवता भी मुझे नहीं जीत सकते हैं। तुलसी बोली, आपने अपने सात्विक विचार से मुझे पराजित कर दिया है। संसार में वह पुरुष धन्य है जो स्त्री से पराजित नहीं होता है। मैंने तो सिर्फ आपकी विद्या का प्रभाव जानने के लिए आपकी परीक्षा ली है क्यूँकि स्त्री को हमेशा अपने पति का वरण करने से पहले उसकी परीक्षा लेनी चाहिए। अभी तुलसी इस प्रकार के वचन कह ही रही थी कि वहां ब्रह्मा जी आ गए और उन्होंने दोनों को विवाह करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने तुलसी से कहा कि ये दानव एक बार फिर कृष्ण की कृपा से गोलोक को प्राप्त करेगा और इसके मर जाने के बाद तुम भी बैकुंठ में श्री कृष्ण को प्राप्त करोगी। ऐसा कहकर ब्रहदेव वहां से चले गए और उन दोनों ने विवाह कर लिया। इस प्रकार शंखचूड़ तुलसी से विवाह करके अपने पिता के घर को चला गया और अपनी सुन्दर पत्नी के साथ रमण करने लगा।