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Jyeshtha Skanda Shashti 2024: कब है ज्येष्ठ स्कंद षष्ठी व्रत? जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि

जीवांजलि डेस्क Published by: सुप्रिया शर्मा Updated Mon, 10 Jun 2024 08:00 AM IST
सार

Jyeshtha Skanda Shashti 2024: जून माह में स्कंद षष्ठी व्रत 12 जून यानी बुधवार को रखा जाएगा हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है।

Jyeshtha Skanda Shashti 2024
Jyeshtha Skanda Shashti 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Jyeshtha Skanda Shashti 2024: स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। स्कंद षष्ठी को कांड षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है। तमिल हिंदुओं के बीच लोकप्रिय हिंदू देवता भगवान स्कंद कुमार हैं। वह भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और उन्हें भगवान गणेश का छोटा भाई माना जाता है। लेकिन उत्तरी भारत में स्कंद को भगवान गणेश के बड़े भाई के रूप में पूजा जाता है। भगवान स्कंद के अन्य नाम मुरुगन, कार्तिकेयन और सुब्रमण्य हैं। स्कंद षष्ठी को कांड षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। पंचमी तिथि या षष्ठी तिथि सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच शुरू होती है और बाद में स्कंद षष्ठी व्रत के लिए इस दिन पंचमी और षष्ठी दोनों संयुग्मित होते हैं। इसका उल्लेख धर्मसिंधु और निर्णय सिंधु में किया गया है। जून माह में स्कंद षष्ठी व्रत 12 जून यानी बुधवार को रखा जाएगा हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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जून में कब है स्कंद षष्ठी व्रत?

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मंगलवार, 11 जून को शाम 5:27 बजे शुरू होगी और बुधवार, 12 जून को शाम 7:17 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार स्कंद षष्ठी का पर्व 12 जून को ही मनाया जाएगा।
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स्कंद षष्ठी का महत्व

स्कंद पुराण में कुमार कार्तिकेय मुख्य पात्र हैं और इस पुराण को सभी पुराणों में सबसे महान माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सही मार्ग की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल के स्वामी हैं और इनका निवास दक्षिण दिशा में है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में कर्क राशि यानी नीच का मंगल है, उन्हें मंगल को मजबूत करने और मंगल के शुभ फल प्राप्त करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत रखना चाहिए। चूंकि स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को प्रिय है, इसलिए इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। चूंकि भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल पसंद हैं, इसलिए इस दिन को स्कंद षष्ठी के अलावा चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

स्कंद षष्ठी की पूजा विधि

- स्कंद षष्ठी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शुद्ध हो जाएं।
- इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें।
- फिर सबसे पहले गणेश वंदना करें।
-  हो तो अखंड ज्योत जलाएं, सुबह-शाम दीपक जलाएं।
- इसके बाद भगवान कार्तिकेय को जल चढ़ाएं और नए वस्त्र अर्पित करें।
- फूल या फूलों की माला चढ़ाएं और फल-मिठाई का भोग लगाएं।
- मान्यता है कि इस दिन किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए की गई पूजा फलदायी होती है।

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