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Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: कब है ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी? जानिए तिथि और पूजा विधि

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Tue, 21 May 2024 08:00 AM IST
सार

Sankashti Chaturthi 2024: ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी 26 मई को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है।

Sankashti Chaturthi 2024
Sankashti Chaturthi 2024- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Sankashti Chaturthi 2024: ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी 26 मई को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गौरी पुत्र श्री गणेश की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं। पूजा-पाठ के अलावा शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें करने से जीवन की समस्याएं दूर हो सकती हैं। आइए जानते हैं भगवान गणेश को प्रसन्न करने की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त 
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ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी कब?

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को सुबह 06:06 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 04:53 बजे समाप्त होगी। ऐसे में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 26 मई को मनाया जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

वैसे तो गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत कोई भी कर सकता है, लेकिन ज्यादातर विवाहित महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गजानन की पूजा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है, घर-परिवार में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है और रुके हुए मांगलिक कार्य पूरे होते हैं। इस चतुर्थी में चंद्रमा के दर्शन करने से भगवान गणेश के दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है तो उसे भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए, ताकि वह सही निर्णय लेकर जीवन में सफल हो सके। मन के स्वामी चंद्रदेव हैं, इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ रात में चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक परेशानियां दूर होती हैं और शुभ कामनाएं पूरी होती हैं।
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मंत्र

सुख-समृद्धि के लिए जितना हो सके गणेशजी के मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' या  'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' का जप करें।श्री गणेश के मंत्र जाप से व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है और हर कार्य अनुकूल सिद्ध होने लगता है। इस दिन पूर्ण श्रद्धा से गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना बहुत लाभदायी है।  

संकष्टी चतुर्थी के नियम 

गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए इनकी पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। पूर्व या उत्तर मुख होकर पूजा करना लाभदायक माना गया है।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजाविधि

- इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं
 - और उन्हें सिन्दूर, दूर्वा, गंध, अक्षत, अबीर, गुलाल, सुगंधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, मौसमी फल चढ़ाएं।
-  यदि पूजा के समय भगवान गणेश की मूर्ति न हो तो केवल एक साबुत सुपारी को ही भगवान गणेश मानकर उसकी पूजा की जा सकती है।
- फिर दूर्वा चढ़ाकर मोदक का प्रसाद लगाएं और धूप-दीप से उसकी आरती उतारें।

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