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Shivling: ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या है अंतर जानिए

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Mon, 20 May 2024 06:07 AM IST
सार

Shivling: शिवपुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।

शिवलिंग
शिवलिंग- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Shivling: शिवपुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है। कई लोग ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग को एक ही मानते हैं, लेकिन इनमें बहुत अंतर है।

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शिवलिंग

शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ अनंत बताया गया है यानी जिसका न आदि हो और न ही अंत। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती का शाश्वत एकल रूप है। शिवलिंग पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक है, शिवलिंग बताता है कि इस संसार में न केवल पुरुष और न ही स्त्री का कोई अलग वर्चस्व है बल्कि दोनों समान हैं। शिवलिंगों की स्थापना मनुष्यों द्वारा की गई है। इनमें से कुछ शिवलिंग मनुष्यों द्वारा बनाए गए हैं और कुछ स्वयं निर्मित हैं और फिर उन्हें मंदिरों में स्थापित किया गया है।

ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान शिव का अवतार है। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का प्रकाश रूप में प्रकट होना। ज्योतिर्लिंगों का निर्माण मनुष्यों द्वारा नहीं किया गया है, बल्कि ये स्वयंभू हैं और सृष्टि के कल्याण और प्रगति के लिए स्थापित किये गये हैं। शिवलिंग तो अनेक हो सकते हैं लेकिन ज्योतिर्लिंग केवल 12 हैं और वे सभी भारत में ही स्थित हैं। कहा जाता है कि जहां-जहां ज्योतिर्लिंग हैं, वहां-वहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए हैं और ज्योति के रूप में वहां जन्मे हैं। 12 ज्योतिर्लिंग के कारण ही पृथ्वी का आधार बना हुआ है और इसीलिए वह अपनी धुरी पर घूम रही है। साथ ही, इसी वजह से पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व बना हुआ है।
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भारत के ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखण्ड
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

ज्योतिर्लिंग की कहानी

ज्योतिर्लिंग के संबंध में शिव पुराण में एक कथा भी है। शिवपुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है और दोनों खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए दृढ़संकल्पित थे। इस भ्रम को दूर करने के लिए भगवान शिव एक प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, जिसका न तो आदि था और न ही अंत। ज्योतिर्लिंग से आवाज आई, दोनों में से कोई भी ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं देख सका। इसके बाद यह निश्चित हो गया कि यह दिव्य ज्योति ब्रह्माजी और विष्णुजी से भी श्रेष्ठ है। इस प्रकाश स्तंभ को ज्योतिर्लिंग कहा गया। लिंग का अर्थ है प्रतीक यानि भोलेनाथ का प्रकाश रूप में प्रकट होना और ब्रह्मांड की रचना का प्रतीक। आइये जानते हैं उन 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में।

ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्॥
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्। वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने। सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये॥
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमाः। तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशयः॥


 
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