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Kurma Jayanti 2024: भगवान विष्णु ने क्यों लिया कूर्म अवतार, जानिए कथा और महत्व

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Mon, 20 May 2024 09:00 AM IST
सार

Kurma Jayanti 2024: कूर्म जयंती वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस बार यह त्योहार 23  मई, गुरूवार को है।

Kurma Jayanti 2024:
Kurma Jayanti 2024:- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Kurma Jayanti 2024:  कूर्म जयंती वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस बार यह त्योहार 23  मई, गुरूवार को है। समुद्र मंथन में देवताओं और राक्षसों की मदद करने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। इन्हें कच्छप अवतार भी कहा जाता है। समुद्र मंथन में कालकूट विष, अमृत और देवी लक्ष्मी सहित चौदह रत्न प्राप्त हुए। नरसिम्हा पुराण के अनुसार कूर्मावतार भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है, जबकि भागवत पुराण के अनुसार वह भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार है।
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समुद्र मंथन के लिए हुआ कूर्म अवतार

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड हो गया था। एक बार महर्षि दुर्वासा ने इन्द्र को पारिजात पुष्प की माला उपहार में दी थी। अहंकारवश इंद्र ने वह माला ऐरावत हाथी के सिर पर रख दी। यह देखकर ऋषि को इंद्र पर क्रोध आया और उन्होंने देवताओं को श्रीहीन हो जाने का श्राप देकर उनकी सुख-समृद्धि नष्ट कर दी। शाप के प्रभाव से लक्ष्मी समुद्र में लुप्त हो गईं। इससे सुर-असुर जगत का सारा वैभव नष्ट हो गया। इस घटना से दुखी होकर इंद्र ने भगवान विष्णु की शरण ली। भगवान विष्णु ने इंद्र को देवताओं और राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए कहा। तब भगवान विष्णु के आदेशानुसार दैत्य और देवता मंथन के लिए तैयार हो गये। इसके लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकि को रस्सी बनाया गया। देवताओं और दानवों ने मंदराचल को समुद्र में फेंक दिया और उसका मंथन करने लगे, लेकिन पर्वत का कोई आधार न होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु ने विशाल कूर्म (कछुआ) का रूप धारण किया और मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर रखकर समुद्र में रख दिया। इससे पर्वत तेजी से घूमने लगा और समुद्र मंथन पूरा हुआ।
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कूर्म अवतार जयंती का महत्व

शास्त्रों में इस दिन का बहुत महत्व माना गया है। मान्यता के अनुसार इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू करना बहुत शुभ माना जाता है। कूर्म जयंती के अवसर पर वास्तु दोषों को दूर किया जा सकता है, नए घर, भूमि आदि के पूजन के लिए यह सबसे अच्छा समय है और खराब वास्तु को शुभ में बदला जा सकता है।

 वैशाख महीने की कूर्म जयंती कब?

इस साल कूर्म जंयती 23 मई दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का होता है। इस दिन विधि- विधान से विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए आज जानते हैं इस दिन क्या करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

कूर्म जयंती पर करें ये उपाय

कूर्म जयंती  का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की पूजा की भी परंपरा है।

- भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अवश्य चढ़ाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी चढ़ाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

- भगवान विष्णु को सात्विक भोजन का भोग लगाएं। यदि संभव हो तो प्रसाद में कुछ मीठा शामिल करें।

- दान का कई गुना फल मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन पीली चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

- भगवान विष्णु की आरती करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। 

विष्णु भगवान की आरती..

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
 
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