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Raksha Bandhan 2024: इस साल मनाया जाएगा रक्षा बंधन, जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Mon, 10 Jun 2024 07:08 AM IST
सार

Raksha Bandhan 2024: हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन राखी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को समर्पित होता है। इस दिन बहनें स्नान-ध्यान के बाद सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करती हैं।

कब है रक्षाबंधन
कब है रक्षाबंधन- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Raksha Bandhan 2024: हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन राखी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को समर्पित होता है। इस दिन बहनें स्नान-ध्यान के बाद सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करती हैं। इसके बाद वे विधि-विधान से भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस समय वे तिलक और अक्षत लगाकर, आरती उतारकर, मिठाई खिलाकर राखी बांधती हैं। साथ ही वे भगवान कृष्ण से उन्नति और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस मौके पर भाई भी अपनी बहनों को उनकी पसंद की चीजें उपहार में देते हैं। साथ ही बहन के सुख-दुख में भागीदार बनने का वादा भी करते हैं। आइए जानते हैं रक्षाबंधन की सही तिथि, शुभ-मुहूर्त, योग और भद्रा समय-
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शुभ मुहूर्त

सावन मास की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को दोपहर 03:44 मिनट  से शुरू होकर 19 अगस्त को रात 11:55 मिनट पर समाप्त होगी। यह गणना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार है। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इसके लिए रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। हालांकि भद्रा योग के समय राखी नहीं बांधी जाती है।


भद्रा योग

ज्योतिषियों के अनुसार सावन पूर्णिमा पर भद्रा का समय सुबह 05:53 मिनट  से दोपहर 01:32 मिनट  तक है। शास्त्रों में भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके लिए इस समय तक राखी बांधने का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। इसके बाद राखी का त्योहार मनाया जा सकता है।
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शिव योग

रक्षाबंधन पर शोभन योग बन रहा है। यह योग 20 अगस्त को दोपहर 12:47 मिनट  तक बना हुआ है। साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग 20 अगस्त को शाम 05:45 मिनट  तक है।

राखी बांधने का सही समय

सावन पूर्णिमा पर राखी बांधने का सही समय दोपहर 01:32 मिनट से शाम 04:20 मिनट  तक है। इसके बाद प्रदोष काल में शाम 06:56 मिनट से रात 09:08 मिनट  तक है। इन दोनों समय में बहनें अपनी सुविधा के अनुसार अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।

राखी क्यों मनाई जाती है? इतिहास और महत्व

रक्षाबंधन की उत्पत्ति प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में पाई जा सकती है। महाभारत में भगवान कृष्ण और पांडवों की पत्नियों द्रौपदी से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली काट ली थी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा और खून बहने से रोकने के लिए उसे उनकी उंगली पर बांध दिया। उसकी चिंता से प्रेरित होकर, कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वादा किया, जिसे राखी बंधन के शुरुआती उदाहरणों में से एक माना जाता है। राखी का त्योहार भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखता है, यह भाई-बहन के बीच प्यार, स्नेह और बंधन का प्रतीक है। दिन की शुरुआत बहनों और भाइयों द्वारा पारंपरिक पोशाक पहनने से होती है। बहनें राखी, रोली (पवित्र लाल धागा), चावल के दाने, मिठाई और दीया (दीपक) के साथ एक थाली तैयार करती हैं। वे आरती करती हैं, अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और राखी बाँधती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं और उन्हें अपने प्यार के प्रतीक के रूप में उपहार या पैसे देते हैं।

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