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Pradosh Vrat 2024: कब है ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत, जानिए तिथि शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Tue, 11 Jun 2024 05:06 AM IST
सार

 Pradosh Vrat 2024:  सनातन धर्म के अनुसार देवों के देव महादेव को त्रयोदशी तिथि समर्पित होती है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि आती है। इस दिन को प्रदोष व्रत रखा जाता है।

प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Pradosh Vrat 2024:  सनातन धर्म के अनुसार देवों के देव महादेव को त्रयोदशी तिथि समर्पित है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि आती है। इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है।  इस दिन शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। इससे साधक को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भगवान भोलेनाथ की कृपा से जीवन में खुशियां आती हैं। साथ ही महादेव के मंत्रों का जाप करना भी लाभकारी होता है। ऐसे में आइए जानते हैं जून महीने में पड़ने वाले दूसरे प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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कब है प्रदोष व्रत?

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जून 2024 को सुबह 07:28 बजे शुरू होगी। वहीं, यह तिथि अगले दिन 20 जून को 07:49 बजे समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत 19 जून, बुधवार को रखा जाएगा। इस तिथि पर शाम की पूजा अधिक फलदायी होती है, जिसका पता इसके नाम से भी चलता है। ऐसे में प्रदोष काल में इसकी पूजा करें।

प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जून को सुबह 07:28 बजे से शुरू होगी। वहीं त्रयोदशी तिथि समाप्त हो जाएगी। 20 जून को प्रातः 07:49 बजे। ऐसे में 20 जून को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
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बुध प्रदोष व्रत की पूजन सामग्री

लाल और पीला गुलाल
दूध
शुद्ध जल
गंगाजल
शहद
अक्षत
कलावा
फल, फूल, सफेद मिठाई
ओलियंडर फूल
आसन
सफेद चंदन
भांग
धतूरा
बेल पत्र
धागा
कपूर
अगरबत्ती घी
नए कपड़े
पंचमेवा
प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक
शिव चालीसा
शंख
घंटा
हवन सामग्री आदि

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें।

फिर शाम को प्रदोष काल में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।

भगवान शिव को शमी के फूल, धतूरा और बिल्वपत्र चढ़ाएं।

अब भगवान शिव को माला अर्पित करें और माता पार्वती का श्रृंगार करें।

प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान गणेश की भी पूजा करनी चाहिए।

अंत में आरती करें और दही, फल चढ़ाएं और  मिठाई

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