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Lord Ram: लक्ष्मण जी की माता सुमित्रा को कैसे हुई दो पुत्रों की प्राप्ति, जानिए

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Tue, 11 Jun 2024 04:23 PM IST
सार

Lord Ram: सुमित्रा रामायण की एक प्रमुख पात्र थी और राजा दशरथ की तीन रानियों में से एक थी।  सुमित्रा का जन्म काशी के राजा की पुत्री के रूप में हुआ था। सुमित्रा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी और लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मां थीं।

भगवान राम
भगवान राम- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Lord Ram: सुमित्रा रामायण की एक प्रमुख पात्र थी और राजा दशरथ की तीन रानियों में से एक थी।  सुमित्रा का जन्म काशी के राजा की पुत्री के रूप में हुआ था। सुमित्रा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी और लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मां थीं। वह स्वभाव से बहुत विनम्र और मेहनती महिला थीं। जब वह विवाह योग्य हुईं तो उनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से कर दिया गया। दशरथ की पहले से दो पत्नियाँ थीं और सुमित्रा तीसरी पत्नी बनीं। आज हम आपको बताएंगे कि माता सुमित्रा के दो पुत्र कैसे हुए।

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माता सुमित्रा के दो पुत्र क्यों हुए?

पौराणिक कथाओं के अनुसार अयोध्या के चक्रवर्ती राजा दशरथ को संतान नहीं हो रही थी, जिसके कारण उन्होंने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। इसमें देवी-देवताओं सहित बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने भाग लिया। यज्ञ पूर्ण होने के बाद उन्होंने सभी पंडितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को आदरपूर्वक भोजन कराया और उन्हें आदरपूर्वक विदा किया।

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यज्ञ का प्रसाद

इसके बाद राजा दशरथ ने यज्ञ के प्रसाद के रूप में बनी खीर तीनों रानियों को खिलाई, जिसके फलस्वरूप वे गर्भवती हो गईं। सबसे पहले रानी कौशल्या ने एक सुंदर नीले रंग के शिशु भगवान राम को जन्म दिया। फिर कैकेयी और सुमित्रा ने भी अपने पुत्रों को जन्म दिया। कैकेयी का एक पुत्र और सुमित्रा के दो पुत्र थे।

इस तरह माता सुमित्रा को खीर का प्रसाद मिला

आपको बता दें, सुमित्रा के दोनों पुत्रों के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक कथा यह भी है कि यज्ञ समाप्त होने के बाद महाराज दशरथ ने अग्नि के माध्यम से चरु का आधा भाग माता कौशल्या को और आधा कैकेयी जी को दिया।इसके बाद दोनों रानियों ने इसे माता सुमित्रा को दे दिया। यही कारण है कि सुमित्रा जी ने दो पुत्रों को जन्म दिया। इसके अलावा एक कथा में यह भी कहा गया है कि यज्ञ में चढ़ाई गई खीर सबसे पहले माता कौशल्या और कैकेयी जी को मिली थी। इसके बाद दोनों ने इसे माता सुमित्रा को दे दिया, जिससे उन्हें 2 पुत्र प्राप्त हुए।

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