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Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर कैसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Mon, 10 Jun 2024 06:07 AM IST
सार

Jyeshtha Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। एक साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती हैं और हर पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है। इसी तरह ज्येष्ठ पूर्णिमा को भी बेहद खास माना जाता है

ज्येष्ठ पूर्णिमा
ज्येष्ठ पूर्णिमा- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Jyeshtha Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। एक साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती हैं और हर पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है। इसी तरह ज्येष्ठ पूर्णिमा को भी बेहद खास माना जाता है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन चंद्र देव के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बेहद अच्छे योग बन रहे हैं।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 21 जून 2024 को सुबह 06:01 मिनट पर  शुरू होगी। वहीं यह तिथि अगले दिन 22 जून 2024 को सुबह 05:07 मिनट पर  समाप्त होगी। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून, शनिवार को मनाई जाएगी, लेकिन इसका व्रत 21 जून को किया जाएगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सूर्योदय से शाम 6:42 बजे तक शुभ योग रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के लिए शिव वास योग 23 जून को सुबह 6:38 बजे से 5:12 बजे तक है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा कैसे करें

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

एक वेदी पर भगवान विष्णु, भगवान सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।

इसके बाद पंचामृत से उनका अभिषेक करें।

गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं।

पीले वस्त्र और फूलों की माला चढ़ाएं।

भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।

पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाएं।

पूजा मुहूर्त के अनुसार भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें।

अंत में भगवान सत्यनारायण की आरती के साथ पूजा का समापन करें।

अगले दिन नियमानुसार व्रत का पारण करें।

व्रती को तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।
 

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह को तीसरा महीना माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के साथ ही दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। दान करने से पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन महिलाएं वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए निर्जला वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके बाद जल ग्रहण करती हैं। मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान, पूजा करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।

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