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Importance Of Coconut In Worship: पूजा में क्यों किया जाता है नारियल का इस्तेमाल? जानिए इसका महत्व
जीवांजलि डेस्क Published by: सुप्रिया शर्मा Updated Sun, 09 Jun 2024 05:11 PM IST
सार
Importance Of Coconut In Worship: प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म के सभी शुभ कार्यों में नारियल का इस्तेमाल किया जाता रहा है, इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं पूजा में नारियल का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
Importance Of Coconut In Worship:- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Importance Of Coconut In Worship: हिंदू धर्म में हर दिन खास और महत्वपूर्ण होता है। हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है और कहा जाता है कि उस देवता की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हिंदू धर्म में जब भी कोई पूजा या शुभ कार्य किया जाता है तो नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले नारियल का विशेष महत्व होता है और किसी भी नए काम की शुरुआत में नारियल फोड़ना शुभ माना जाता है। इसके अलावा किसी भी शुभ काम में नारियल का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि नारियल के इस्तेमाल से कई तरह के दोष दूर हो जाते हैं। नारियल को सभी फलों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म के सभी शुभ कार्यों में नारियल का इस्तेमाल किया जाता रहा है, इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं पूजा में नारियल का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
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पूजा-पाठ में क्यों होता है नारियल का इस्तेमाल?
हिंदू धर्म में नारियल को बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए अधिकांश मंदिरों में नारियल फोड़ने या चढ़ाने की प्रथा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म के लगभग सभी देवी-देवताओं को नारियल चढ़ाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले नारियल फोड़कर भगवान को अर्पित करना शुभ होता है। पूजा सामग्री में नारियल का भी महत्व है। नारियल के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान को नारियल चढ़ाने से व्यक्ति के दुख-दर्द दूर होते हैं और धन की प्राप्ति होती है। प्रसाद के रूप में प्राप्त नारियल खाने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
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मांगलिक कार्य में नारियल का इस्तेमाल
नारियल का इस्तेमाल सभी धार्मिक समारोहों और अनुष्ठानों में किया जाता है। नारियल सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। देवताओं को नारियल का प्रसाद बहुत पसंद है, इसलिए भगवान को नारियल का भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
भगवान नारायण का प्रिय फल
नारियल को श्रीफल कहा जाता है। श्रीफल भगवान नारायण का प्रिय फल है। नारियल की बाहरी सतह अहंकार का प्रतीक मानी जाती है और अंदर की सफेद और मुलायम सतह शांति का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए नारियल फोड़ने का मतलब है कि हम अपने अहंकार को भगवान के चरणों में त्याग देते हैं।
तीनों देवों का नारियल पर होता है वास
नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव निवास करते हैं। नारियल पर बनी तीन आंखों की तुलना भगवान शिव की तीन आंखों से की जाती है। इसलिए नारियल को बहुत शुभ माना जाता है और पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। चाहे राम सीता विवाह हो, शिव पार्वती विवाह हो, सभी विवाहों में कलश के ऊपर नारियल की पूजा की जाती है।