विज्ञापन
Home  dharm  ganga dussehra 2024 date shubh muhurat and significance ganga jal importance

Ganga Dussehra 2024: गंगाजल को क्यों माना जाता है इतना पवित्र, जानें क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा?

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Fri, 07 Jun 2024 08:00 AM IST
सार

Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा, जिसे दशमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह ज्येष्ठ मास की दशमी को मनाया जाता है।

Ganga Dussehra 2024
Ganga Dussehra 2024- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा, जिसे दशमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह ज्येष्ठ मास की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन, भक्त पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं और माता गंगा का पूजन करते हैं पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने गंगा को धरती पर लाने के लिए अपने जटाओं में धारण किया था। ज्येष्ठ मास की दशमी को ही गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इसी कारण इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि राजा भागीरथ अपने पूर्वजों के पापों को धोने के लिए गंगा को धरती पर लाना चाहते थे। उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की और भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने उन्हें गंगा को धरती पर लाने का वरदान दिया। गंगा नदी को मोक्षदायी माना जाता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से न सिर्फ पापों का नाश होता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। गंगा दशहरा हिन्दुओं के लिए आध्यात्मिक शुद्धि का भी प्रतीक है। इस दिन लोग गंगा में स्नान करके अपने मन और शरीर को शुद्ध करते हैं। गंगा दशहरा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है। गंगा नदी को भारत की जीवन रेखा माना जाता है। 
विज्ञापन
विज्ञापन


हर साल ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि को गंगा दशहरा या गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में पाई जाने वाली कथाओं के अनुसार इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इस बार गंगा दशहरा 16 जून 2024, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन मां गंगा की पूजा की जाती है और इस दिन गंगा में स्नान करने का भी विशेष महत्व है।

गंगा जल को क्यों माना जाता है इतना पवित्र? 

हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। गंगा में स्नान के अलावा हर शुभ काम में गंगा जल का भी इस्तेमाल किया जाता है। लोग अपने घरों में गंगा जल भरकर रखते हैं। इसे बहुत पवित्र माना जाता है। आइए गंगा दशहरा के पावन पर्व पर जानते हैं कि गंगा जल को इतना पवित्र क्यों माना जाता है, इससे जुड़ी खास बातें क्या हैं।
विज्ञापन


- भगवान शिव की जटाओं से गंगा धरती पर आती है, इसलिए गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है।
- पौराणिक ग्रंथों में मिलने वाली कथाओं के अनुसार भागीरथ गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाए थे, इसलिए गंगा को स्वर्ग की नदी माना जाता है। यही कारण है कि गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा एक ऐसी नदी है जिसमें स्वयं देवी-देवताओं ने स्नान किया है, इसलिए गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है।

क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा पर्व?

स्कन्द पुराण में गंगा दशहरा का वर्णन कुछ इस प्रकार से मिलता है। पुराण में लिखा है कि ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि संवत्सरमुखी मानी गई है। इसलिए इस दिन किया गया स्नान और दान श्रेष्ठ होता है। इसी कारण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार आज के दिन किसी भी नदी पर जाकर स्नान अवश्य करना चाहिए।

गंगा दशहरा और गंगाजल का धार्मिक महत्व

वराह पुराण के अनुसार इस दिन मां गंगा में स्नान करने और उनकी पूजा करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन गंगा पूजन, शिव जलाभिषेक और शिवलिंग पूजन से दस पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की वृद्धि होती है। मान्य है - 'गंगे तव दर्शनात मुक्ति' अर्थात सच्चे मन से गंगाजी के दर्शन मात्र से ही कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। वह गंगा जल को छोड़कर स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पाठ, यज्ञ, मंत्र, होम और देववार्चन जैसे सभी शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती जो गंगा जल का सेवन करने से मिलती है। कलियुग में काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, क्रोध आदि अनेक दुर्गुणों का नाश करने में गंगा के समान कोई नहीं है। गंगा पूजन और स्नान से ऋद्धि-सिद्धि, यश और सम्मान की प्राप्ति होती है तथा सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह माना जाता है कि मांगलिक दोषों से पीड़ित लोगों को गंगा पूजन से विशेष लाभ मिलता है और गंगा स्नान से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है। विधि-विधान से गंगा पूजन करना अत्यंत फलदायी होता है।

गंगा दशहरा का महत्व

गंगा दशहरा को लेकर यह धार्मिक मान्यता है कि इस दिन ही मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा दशहरा पर पवित्र गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। अगर आपके लिए ऐसा कर पाना संभव न हो तो आपको घर पर ही स्नान करते हुए पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए। इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है।

यह भी पढ़ें:-
Palmistry: हस्तरेखा में इन रेखाओं को माना जाता है बेहद अशुभ, व्यक्ति के जीवन में लाती हैं दुर्भाग्य
Upnayan Sanskar: क्या होता है उपनयन संस्कार जानिए महत्व और संस्कार विधि
Worshipping Trees: हिंदू धर्म में पेड़ों की पूजा का क्या है महत्व जानिए


 
विज्ञापन