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Dhumavati Jayanti 2024: कब है धूमावती जयंती? जानें तिथि, पूजा विधि और मंत्र

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Sat, 08 Jun 2024 07:30 AM IST
सार

Dhumavati Jayanti 2024: धूमावती जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 14 जून को है, यानि धूमावती जयंती 14 जून को मनाई जाएगी।

Dhumavati Jayanti
Dhumavati Jayanti- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Dhumavati Jayanti 2024: हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मां धूमावती का प्रकट दिवस मनाया जाता है, इस बार यह पर्व 14 जून दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। धूमावती को देवी पार्वती का बहुत ही भयंकर रूप माना जाता है और वे दस महाविद्याओं में से सातवीं महाविद्या हैं। उनका रूप इतना भयंकर है कि महाप्रलय के समय भी वे उपस्थित रहती हैं। जब संपूर्ण ब्रह्मांड नष्ट हो जाता है, समय समाप्त हो जाता है और स्वयं महाकाल अंतर्ध्यान हो जाते हैं, तब भी देवी वहां अकेली रहती हैं। देवी के रूप के संबंध में मान्यता है कि धूमावती देवी का रूप बहुत ही गंदा और भयानक प्रतीत होता है। उनका रूप विधवा का है और उनका वाहन कौआ है, इसके अलावा वे सफेद वस्त्र पहने खुले बालों वाले रूप में हैं। उनका रूप बहुत भयंकर होने के बावजूद भी उनकी पूजा लाभकारी होती है।
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धूमावती जयंती कब?

हिंदू पंचांग के अनुसार, धूमावती जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 14 जून को है, यानि धूमावती जयंती 14 जून को मनाई जाएगी।
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पौराणिक कथा

माता के बारे में एक पौराणिक कथा है, कि एक बार भगवान शिव-पार्वती कैलाश पर भ्रमण करते हुए कुछ देर के लिए एक स्थान पर विश्राम करने के लिए बैठ गए। कुछ देर बाद पार्वती को भूख लगने लगी, उन्होंने शिव से उनकी भूख मिटाने का अनुरोध किया, शिव ने कहा प्रिये! मैं जल्दी ही भोजन की व्यवस्था करूंगा, काफी देर हो गई लेकिन भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाई और मां 'पार्वती' भूख सहन नहीं कर पाईं, तब भगवती ने स्वयं शिव को निगल लिया, जिससे उनके शरीर से धुआं निकलने लगा! और शिव अपनी माया से बाहर आ गए। बाहर आकर शिव ने पार्वती से कहा, मैं पुरुष हूं और तुम स्त्री हो, तुमने अपने ही पति को निगल लिया है। अतः अब तुम विधवा हो गई हो, इसलिए विवाहित स्त्री का श्रृंगार त्याग दो और विधवा के वेश में रहो और तुम संसार में 'धूमावती' नाम से प्रसिद्ध हो ओगी।

पूजा विधि

- मां धूमावती महाविद्या की पूजा मुख्य रूप से मां के प्रकटोत्सव के दिन और गुप्त नवरात्रि में की जाती है।

- इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

- एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर उसके सामने मां धूमावती का चित्र रखें और उन्हें जल, पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें और मां की आरती करें।

धूमावती माता का मंत्र-

ओम धूम धूम धूमावती देव्यै स्वाहा:

पूजा का फल

मां धूमावती की पूजा विपत्ति से मुक्ति, रोग का नाश और युद्ध में विजय पाने के लिए की जाती है, वहीं इनकी पूजा करने से मनुष्य के संकट दूर होते हैं और अगर उसे किसी चीज की कमी है तो वह भी दूर हो जाती है।

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