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Lord Shiva: भगवान शिव ने क्यों धारण किया था साधु का वेश? जानिए इससे जुड़ी कहानी

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Fri, 17 May 2024 08:30 AM IST
सार

Lord Shiva: हिन्दू धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवताओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। यही कारण है कि उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। शिव जी सर्व काल के काल महाकाल हैं।

Lord Shiva
Lord Shiva- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Hanuman Birth Story: हिन्दू धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवताओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। यही कारण है कि उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। शिव जी सर्व काल के काल महाकाल हैं। उनकी कृपा से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। भगवान शिव की पूजा सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी देवी-देवता, सुर और असुर भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव शंभू बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। वे केवल भाव के भूखे हैं, यदि कोई उन्हें श्रद्धापूर्वक एक लोटा जल भी दे दे तो वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। कहा जाता है कि महादेव ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए कई अवतार लिए हैं। देवों के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव ने एक बार साधु का भेष धारण किया था। आइए जानते हैं भगवान शिव ने भी साधु का भेष क्यों धारण किया था।
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माता अंजनी ने की थी कठिन तपस्या 

पौराणिक कथा के अनुसार केसरी और माता अंजनी काफी समय तक संतान सुख से वंचित रहे। उन्होंने मतंग ऋषि से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। मतंग ऋषि ने माता अंजनी को 12 वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या और व्रत करने को कहा। माता अंजनी ने मतंग ऋषि की बात मानकर वैसा ही किया। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या की। तब तपस्या पूरी होने पर मतंग ऋषि ने माता अंजनी को आशीर्वाद दिया कि भगवान शिव शीघ्र ही उन्हें आशीर्वाद देने आएंगे।

भगवान शिव ने इसलिए धारण किया भिक्षु का वेश  

मतंग ऋषि की बात सुनकर माता अंजनी ने भगवान शिव के स्वागत और सम्मान के लिए 56 भोग तैयार किये। माता अंजनी की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव साधु का भेष बनाकर पहुंचे। माता अंजनी ने साधु को भोजन परोसा, लेकिन साधु के रूप में भगवान शिव ने 56 भोग खाने की इच्छा व्यक्त की। माता अंजनी ने साधु से कहा कि 56 भोग भगवान शिव के लिए हैं। इस पर भिक्षु क्रोधित हो गए और अपना गुस्सा माता अंजनी पर व्यक्त करते हुए भगवान शिव को भला-बुरा कहने लगे। इस पर माता अंजनी ने साधु से भगवान शिव का अपमान न करने का अनुरोध किया, लेकिन साधु भगवान शिव को अपशब्द कहते रहे। तब माता अंजनी ने अपने क्रोध पर काबू पाया और साधु से 56 भोग खाने को कहा।
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इस बात से प्रसन्न होकर भिक्षु बने महादेव अपने असली रूप में आ गए और माता अंजनी को दर्शन दिए। शिव जी ने अंजनी को आशीर्वाद दिया कि रुद्रावतार हनुमान आपके गर्भ से जन्म लेंगे, जो वेदों शास्त्रों के महान ज्ञाता होंगे। इसके बाद शिव जी के आशीर्वाद से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया।  

 

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