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Hanuman Ji Name Story: जानिए कैसे पड़ा मारुति नंदन का नाम हनुमान, बड़ी रोचक है कहानी

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Thu, 16 May 2024 05:23 PM IST
सार

Hanuman Ji Name Mythological Story: हनुमान जी को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। कहा जाता है कि हनुमान जी ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा करने से बड़ी से बड़ी बाधाएं भी तुरंत दूर हो जाती हैं।

Hanuman Ji Name Story
Hanuman Ji Name Story- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Hanuman Ji Name Mythological Story: हनुमान जी को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। कहा जाता है कि हनुमान जी ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा करने से बड़ी से बड़ी बाधाएं भी तुरंत दूर हो जाती हैं। बजरंगबली को कलियुग का जीवित देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इनकी पूजा से शीघ्र फल मिलता है। हनुमान जी की पूजा करने से शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी अपने भक्तों के सभी कष्ट और परेशानियां दूर कर देते हैं। हनुमान जी का नाम लेने मात्र से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी का नाम जपने मात्र से ही व्यक्ति को सांसारिक सुखों की प्राप्ति हो जाती है। हनुमान को बजरंगबली, अंजनीपुत्र, पवनपुत्र, रामभक्त जैसे कई नामों से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मारुति नंदन का नाम हनुमान कैसे पड़ा...
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जब केसरी नंदन ने निगल लिया सूर्य

पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था। एक दिन मारुति नंदन अपनी नींद से उठे और उन्हें बहुत भूख लगी। उन्होंने पास के एक पेड़ पर लाल पका हुआ फल देखा, जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े। दरअसल, मारुति ने जिस लाल पके फल को सूर्यदेव समझा था, वह सूर्यदेव ही थे।

वह अमावस्या का दिन था और राहु सूर्य को ग्रहण लगाने वाला था, लेकिन इससे पहले कि वह सूर्य को ग्रहण कर पाता, हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया। राहु को समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? उसने इन्द्र से सहायता मांगी। जब इंद्रदेव के बार-बार अनुरोध करने पर भी हनुमान जी ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया, तो इंद्र ने उनके चेहरे पर वज्र से प्रहार किया जिससे सूर्यदेव मुक्त हो गये।
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 कैसे पड़ा मारुति नंदन का नाम हनुमान

वज्र के प्रहार से पवनपुत्र मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़े और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई। जब वायु देवता को इस बात का पता चला तो वे बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने अपनी शक्ति से संपूर्ण संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों में आतंक फैल गया।

इस विनाश को रोकने के लिए, सभी देवता पवन देवता से अनुरोध करने आए कि वे अपना क्रोध त्यागें और जीवन की वायु को पृथ्वी पर प्रवाहित करें। पवन देव को प्रसन्न करने के लिए सभी देवताओं ने बालक हनुमान को उनकी पूर्व स्थिति में लौटा दिया और कई वरदान भी दिए।

देवताओं के आशीर्वाद से बालक हनुमान और भी शक्तिशाली हो गए, लेकिन वज्र के प्रभाव से उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा।
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