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Sita Navami 2024: कब है सीता नवमी? जानिए तिथि, महत्व और पूजा विधि

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Wed, 08 May 2024 03:59 PM IST
सार

 Seeta Navami: हर साल सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्यौहार रामनवमी के लगभग एक महीने बाद मनाया जाता है। 

Seeta Navami
Seeta Navami- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Seeta Navami: हर साल सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्यौहार रामनवमी के लगभग एक महीने बाद मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को सीता जी प्रकट हुईं, इसलिए इसे जानकी जयंती या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। इस बार 16 मई 2024, गुरुवार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। यह दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है। इस दुर्लभ अवसर पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम की भी पूजा करना श्रेष्ठ है। जिस प्रकार रामनवमी को अत्यंत शुभ फलदायी त्योहार के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी को भी अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। भगवान श्री राम को विष्णु का रूप और माता सीता को लक्ष्मी का रूप कहा गया है। इस शुभ दिन पर अगर हम भगवान श्री राम के साथ माता सीता की भी पूजा करें तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं सीता नवमी की तिथि, पूजा समय और पूजा विधि।
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सीता नवमी का महत्व
सीता नवमी माता सीता के प्राकट्य के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता सीता की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मिथिला नरेश जनक जी अपने खेतों में हल चला रहे थे, तो उस समय उनको वहां से माता सीता पुत्री स्वरूप में प्राप्त हुई थीं। 

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सीता नवमी की तिथि 
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ: 16 मई ,गुरुवार, प्रातः 6:22 से 
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का समाप्त:17 मई, शुक्रवार, प्रातः 08:48 

सीता नवमी का शुभ मुहूर्त 
सीता नवमी का मध्याह्न मुहूर्त: प्रातः11.04 से दोपहर 01:43 तक 
सीता नवमी का मध्यान क्षण 12: 23 तक है। 

सीता नवमी की पूजन विधि
- सीता नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- घर में रखे गंगा जल से भगवान श्री राम और सीता माता की मूर्तियों को स्नान कराएं।
- इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल पर माता सीता और भगवान राम की विधि-विधान से पूजा करें।
- इसके बाद उन्हें भोजन कराएं.
- माता सीता के सामने दीपक जलाएं.
- अब भगवान राम और माता सीता की आरती करें.

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