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Mohini Ekadashi 2024: क्यों मनाई जाती है मोहिनी एकादशी, जानिए इसके पीछे की कहानी
जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Wed, 08 May 2024 06:21 PM IST
सार
Mohini Ekadashi 2024: हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्री नारायण के निमित्त मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 16 मई को रखा जाएगा।
Mohini Ekadashi 2024:- फोटो : JEEVANJALI
विस्तार
Mohini Ekadashi 2024: हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्री नारायण के निमित्त मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 16 मई को रखा जाएगा. भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को मोहिनी एकादशी का महत्व समझाते हुए कहते हैं कि महाराज! त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर परम प्रतापी श्रीराम ने यह व्रत किया था। यह व्रत व्रतों में सर्वोत्तम व्रत है जो सभी प्रकार के दुखों को दूर करने वाला और सभी पापों को दूर करने वाला है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोह-माया से मुक्त होकर विष्णुलोक को जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है।
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श्रीनारायण की करें पूजा
- एकादशी समस्त पापों को हरने वाली सर्वोत्तम तिथि है। प्राणियों सहित सम्पूर्ण त्रिलोक में इससे बढ़कर कोई तिथि नहीं है। चलिए जानते है मोहिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि:-
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- मोहिनी एकादशी व्रत के दिन सभी कामनाओं और सिद्धियों के दाता भगवान श्री नारायण की पूजा करनी चाहिए।
- रोली, मोली, पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल, मौसमी फल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद धूपबत्ती से श्रीहरि की आरती करनी चाहिए और दीपदान करना चाहिए।
- इस दिन 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी होता है।
- इस दिन भक्तों को बदनामी, छल, लालच और नफरत की भावनाओं से दूर रहना चाहिए और श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए उनकी भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करें।
जानिए क्यों लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप
धर्मग्रंथों के अनुसार मोहिनी भगवान विष्णु का अवतार थीं। समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत कलश निकला तो दानवों और देवताओं में से इस बात पर विवाद हो गया कि अमृत कलश कौन लेगा। सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। अमृत कलश से राक्षसों का ध्यान हटाने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुए। इस प्रकार भगवान विष्णु की सहायता से सभी देवताओं ने अमृत पी लिया। यह शुभ दिन वैशाख शुक्ल एकादशी का था, इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह वही व्रत है जिसे राजा युधिष्ठिर और भगवान श्रीराम ने किया था।