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Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर भद्रावास योग समेत कई शुभ योग,मिलेगा लाभ

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Wed, 08 May 2024 06:21 PM IST
सार

Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी को सबसे शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोहिनी एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

मोहिनी एकादशी 2024
मोहिनी एकादशी 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी को सबसे शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोहिनी एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार हर साल मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन सच्चे मन और विधि-विधान से पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ समय

मोहिनी एकादशी 18 मई 2024 को सुबह 11:23 बजे शुरू होगी. वहीं इसकी समाप्ति अगले दिन 19 मई 2024 को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर होगी. पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई 2024 को रखा जाएगा.
 

मोहिनी एकादशी पर बन रहे हैं ये 3 शुभ योग

18 मई को शाम 7 बजकर 21 मिनट से रात 8 बजकर  25 मिनट  तक अमृत योग रहेगा. वहीं सिद्धि योग सुबह 12 :25 मिनट से शाम 6:16 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा मोहिनी एकादशी पर साध्य योग सुबह  6:16 मिनट से 7:8 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये तीन योग अपने आप में बेहद शुभ और लाभकारी माने जाते हैं।

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मोहिनी एकादशी पूजा विधि

मोहिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
घर और खासकर पूजाघर को अच्छी तरह से साफ करें।
भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करें और उनका अभिषेक करें।
भगवान को पीले वस्त्रों से सजाएं और पीला चंदन का तिलक भी लगाएं।
मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं. इसके बाद एकादशी व्रत को पूरी श्रद्धा से करने का निर्णय लें.
'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करें।
भगवान को पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
पूजा का समापन आरती के साथ करें।
शाम के समय भी भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें।
अगले दिन द्वादशी तिथि पर पूजा के बाद अपना व्रत खोलें।
गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।

इन वैदिक मंत्रों का करें जाप

1. ॐ नारायणाय नम:

2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

3. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।

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