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Jyeshtha Month 2024: कब से शुरु होगा ज्येष्ठ माह,जानिए तिथि और महत्व

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Mon, 13 May 2024 12:11 PM IST
सार

Jyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ माह  को हिन्दु धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है आपको बतादे कि पूर्णिमा तिथि के साथ वैशाख माह का समापन होता है इसके बाद  हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना यानि ज्येष्ठ माह शुरू होता है।

ज्येष्ठ माह 2024
ज्येष्ठ माह 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Jyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ माह  को हिन्दु धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है आपको बतादे कि पूर्णिमा तिथि के साथ वैशाख माह का समापन होता है इसके बाद  हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना यानि ज्येष्ठ माह शुरू होता है। इस महीने में बहुत गर्मी होती है और तेज़ धूप के कारण नदियाँ और तालाब सूख जाते हैं। इसलिए ज्येष्ठ माह में जल का अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में हनुमान जी, सूर्य देव और वरुण देव की पूजा करने की परंपरा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ माह कब शुरू होता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

कब से होगा ज्येष्ठ माह की शुरुआत

पंचांग के मुताबिक इस साल ज्येष्ठ माह 24 मई 2024 से शुरु  होगा और 23 जून 2024 को खत्म होगा.इस महीने में जल दान करने का बहुत अधिक महत्व होता है आपको बता दें कि ऐसा माना जाता है कि इस महीने में जो भी व्यक्ति जल दान करता है उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती हौ और जीवन भी सुखमय हो जाता है
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ज्येष्ठ माह का महत्व

सभी महीनों में ज्येष्ठ माह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्येष्ठा का स्वामी मंगल है और ज्योतिष में मंगल को साहस का प्रतीक माना जाता है। ज्येष्ठ माह भगवान विष्णु का प्रिय माह है। इस माह में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकलने वाली मां गंगा और पवनपुत्र हनुमान की पूजा का बहुत महत्व है। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है।



ज्येष्ठ माह में करें ये काम

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ज्येष्ठ माह में अत्यधिक गर्मी होने के कारण पानी की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में व्यक्ति को जल का संरक्षण करना चाहिए।
इस माह में दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जल की सेवा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद मिलता है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
ज्येष्ठ माह में पशु-पक्षियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।


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