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Ganga Saptami 2024: कब है गंगा सप्तमी, जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

jeevanjali Published by: कोमल Updated Mon, 29 Apr 2024 04:52 PM IST
सार

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी का पावन पर्व आने वाला है। गंगा सप्तमी के दिन ही ब्रह्म देव के कमंडल से मां गंगा का जन्म हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मां गंगा का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था

गंगा सप्तमी कब है 2024
गंगा सप्तमी कब है 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी का पावन पर्व आने वाला है। गंगा सप्तमी के दिन ही ब्रह्म देव के कमंडल से मां गंगा का जन्म हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मां गंगा का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था, इसलिए इस तिथि को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं किस दिन है गंगा सप्तमी? गंगा पूजा का शुभ समय क्या है?
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गंगा सप्तमी तिथि 2024

सप्तमी तिथि- 14 मई 2024 को सुबह 02:50 मिनट पर  शुरू होगी.
सप्तमी तिथि समापन- 15 मई 2024 को प्रातः 04:19 मिनट पर समाप्त होगी.
गंगा सप्तमी मध्याह्न मुहूर्त- सुबह 10:56 बजे से दोपहर 1:39 मिनट तक रहेगा।

अवधि- 02:43 मिनट तक

गंगा सप्तमी 2024 पूजा मुहूर्त

14 मई को गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा का शुभ समय करीब सवा तीन घंटे का है। उस दिन आप सुबह 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट के बीच किसी भी समय मां गंगा की पूजा कर सकते हैं.



गंगा सप्तमी पर इस विधि से करें पूजा

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गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठें और सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद गंगा नदी में स्नान करें और अगर आपके आस- पास नदी ना हो तो  नहाने के पानी में गंगा जल मिलाएं।
गंगा नदी में स्नान करते समय सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य देना चाहिए।
सूर्य अर्घ्य के बाद भगवान शिव का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
फिर 'हर हर गंगे' का जाप करते हुए नदी में डुबकी लगाएं।
यदि संभव हो तो गंगा सप्तमी के दिन तीन डुबकी लगाएं। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन मां गंगा को दूध जरूर अर्पित करें। फिर मां गंगा को दीप, धूप,नैवेद्य आदि चढ़ाएं ।
मां गंगा को गेंदे के फूलों की माला चढ़ाएं।
नदी में खड़े होकर मां गंगा के मंत्रों का जाप करें।
साथ ही गंगा स्तोत्र का पाठ करें और मां गंगा से प्रार्थना करें।
मां गंगा को सफेद रंग की मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थ अर्पित करें।
मां गंगा की आरती करें और यथाशक्ति दान करें।

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