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Apara Ekadashi 2024 Date: कब है अपरा एकादशी जानिए तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Fri, 24 May 2024 05:06 AM IST
सार

Apara Ekadashi 2024 Date : अपरा एकादशी व्रत हिंदुओं का एक प्रमुख व्रत है, जो 'ज्येष्ठ' कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। अपरा एकादशी आमतौर पर मई के अंत या जून की शुरुआत में मनाई जाती है।

एकादशी 2024
एकादशी 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Apara Ekadashi 2024 Date: अपरा एकादशी व्रत हिंदुओं का एक प्रमुख व्रत है, जो 'ज्येष्ठ' कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। अपरा एकादशी आमतौर पर मई के अंत या जून की शुरुआत में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। देश के कुछ हिस्सों में 'अपरा एकादशी' को 'अचला एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। अपरा एकादशी के दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा करनी चाहिए। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे श्रद्धापूर्वक करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। अपरा एकादशी का बहुत धार्मिक महत्व भी है।

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अपरा एकादशी व्रत कब है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अपरा एकादशी तिथि 02 जून को सुबह 5:05 बजे शुरू होगी और यह तिथि 03 जून को सुबह 2:41 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 2 जून को ही अपरा एकादशी व्रत करना उचित रहेगा। अपरा एकादशी व्रत का पारण का समय 03 जून को प्रातः 8:06 बजे से प्रातः 8:24 बजे तक किया जा सकता है.

अपरा एकादशी का महत्व

अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह में रखा जाता है। इस व्रत को करने से पाप समाप्त हो जाते हैं। इस व्रत को करने से कई प्रकार के रोग, दोष और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान श्री हरि विष्णु मनुष्य के जीवन से सभी दुखों और परेशानियों को दूर कर देते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या, राक्षसी संपत्ति, झूठ बोलना, निंदा करना, झूठी भाषा बोलना, झूठे वेदों को पढ़ना और पढ़ाना, झूठे ग्रंथ बनाना, ज्योतिष भ्रम,  झूठी गवाही देने जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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अपरा एकादशी पूजा मुहूर्त

चल चौघड़िया मुहूर्त सुबह 7:07 मिनट से 8:51 मिनट तक है।
लाभ चौघड़िया प्रातः 8.51 से प्रातः 10.35 तक।
अमृत चौघड़िया सुबह 10:35 मिनट से दोपहर 12:19 मिनट तक

ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
और जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें।
घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें।
और वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं।
 पूजा के दौरान पीले फूल, हल्दी, गोपी चंदन चढ़ाएं और पंचामृत चढ़ाएं।
प्रसाद में तुलसी के पत्ते डालना न भूलें, इसके बिना प्रसाद पूरा नहीं माना जाता है।
अपरा एकादशी के दिन जरूरतमंदों और गरीबों को दान भी देना चाहिए।

इस मंत्र का जाप करें

दंतभये चक्र दारो दधां

कराग्रगास्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृतब्जय लिंगिताम्बधिपुत्राय

लक्ष्मी गणेश कनकभामिदे।

ॐ ह्रीं कार्तवीर्यअर्जुनो नाम राजा बहु सहस्त्रवान्।

यस्य स्मरेण मात्रेण हृतं नष्टं च लभ्यते।

अपरा एकादशी 2024 पारण समय

एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी का व्रत सदैव द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले तोड़ना आवश्यक होता है। अपरा एकादशी का व्रत 3 जून को सुबह 08.05 मिनट से 08.10 मिनट के बीच खोला जा सकता है.
 

पौराणिक कथा

शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक बहुत ही धार्मिक राजा था लेकिन उसका छोटा भाई वज्रध्वज था जो पापी और अधर्मी था। एक रात उसने अपने बड़े भाई महीध्वज की हत्या कर दी। इसके बाद महीध्वज के शव को जंगल में ले जाकर एक पीपल के पेड़ के नीचे दबा दिया गया। उनकी असामयिक मृत्यु के कारण पुण्यात्मा राजा को भी प्रेत योनि में जाना पड़ा। राजा भूत बनकर पीपल के पेड़ पर रहने लगा और उस रास्ते से आने-जाने वाले लोगों को परेशान करने लगा। एक दिन सौभाग्य से धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। ऋषि ने जब भूत को देखा तो अपनी तपस्या के बल से उन्हें सारी स्थिति का पता चल गया। ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने का विचार किया और पीपल के पेड़ से प्रेत को उतारकर परलोक के ज्ञान का उपदेश दिया। संयोगवश उस समय ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि भी थी। ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत रखा और राजा को एकादशी का पुण्य प्रदान किया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गये और दिव्य शरीर धारण कर स्वर्ग चले गये।

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