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Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर करें ये उपाय, भगवान भैरव की कृपा से दूर होंगी सभी परेशानियां

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Thu, 23 May 2024 09:00 AM IST
सार

Kalashtami 2024: ज्येष्ठ माह का कालाष्टमी 30 मई को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है।

Kalashtami 2024
Kalashtami 2024- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Kalashtami 2024: ज्येष्ठ माह का कालाष्टमी 30 मई को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन शिव शंकर के रुद्र स्वरूप भगवान काल भैरव की पूजा और उपवास करने का विधान है। कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। भगवान काल भैरव की पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है। कालाष्टमी पर भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं।
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श्रीकालभैरवाष्टकम् का करें पाठ 

काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए, उनकी कृपा पाने के लिए कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसो के तेल का दीपक जलाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम् का पाठ करें। मनोकामना पूर्ण होने तक प्रतिदिन इस उपाय को भक्ति भाव के साथ करें। 

कालाष्टमी पर जरूर करें ये काम

कालाष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस विधि से पूजन करने पर भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
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कुत्ते को खिलाएं मीठी रोटी 

कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ता उपलब्ध न हो तो किसी भी कुत्ते को खिलाकर यह उपाय कर सकते हैं। इस उपाय को करने से न सिर्फ भगवान भैरव बल्कि शनिदेव की भी कृपा बरसेगी। 

दान करें

कालाष्टमी के दिन भैरव देव की कृपा पाने के लिए रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को वस्त्र दान करें। यह उपाय करने से आपको कार्यक्षेत्र में तरक्की में मिलेगी। 

भैरव चालीसा का करें पाठ

कालाष्टमी के दिन से लेकर 40 दिनों तक लगातार काल भैरव का दर्शन करें। इस उपाय को करने से भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे। भैरव की पूजा के इस नियम को चालीसा कहते हैं।

भैरव देव की आराधना करें

कालाष्टमी के दिन किसी भी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं। ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।

बाबा काल भैरव के मंत्र

- ॐ कालभैरवाय नम:।
ज- ॐ भयहरणं च भैरव:।
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
- ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।

इस के आलवा बाबा भैरव को प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी के दिन पूजा के दौरान श्री भैरव चालीसा का पाठ करने से जीवन में समृद्धि आती है। यहां श्री भैरव चालीसा दी जा रही है, जिसके माध्यम से आप आसानी से पाठ कर सकते हैं...

श्री भैरव चालीसा
दोहा
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥

श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

चालीसा

जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥
जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥
जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥
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