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Hanuman Kavach: ओम अस्य श्रीपंचमुख हनुम्त्कवचमंत्रस्य ब्रह्मा रूषि:, जरूर करें हनुमान कवच का पाठ

jeevanjali Published by: कोमल Updated Tue, 16 Jan 2024 01:37 PM IST
सार

Hanuman Kavach: शास्त्रों के अनुसार श्री राम भक्त हनुमान अमर हैं, वे हर युग में रहते हैं। हनुमानजी की पूजा करने से सभी संकट चमत्कारिक रूप से समाप्त हो जाते हैं और भक्त को सुख-शांति की प्राप्ति होती है। ह

हनुमान कवच
हनुमान कवच- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Hanuman Kavach: शास्त्रों के अनुसार श्री राम भक्त हनुमान अमर हैं, वे हर युग में रहते हैं। हनुमानजी की पूजा करने से सभी संकट चमत्कारिक रूप से समाप्त हो जाते हैं और भक्त को सुख-शांति की प्राप्ति होती है। हनुमानजी की पूजा के लिए मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से सर्वोत्तम दिन माने गए हैं। वह थोड़ी सी पूजा से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के कष्ट दूर कर देते हैं। मंगल, शनि और पितृ दोषों से मुक्ति पाने के लिए भी हनुमान जी की पूजा बहुत लाभकारी है। हनुमानजी की पूजा से घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां भी दूर भाग जाती हैं।

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''हनुमान कवच'' ( Hanuman Kavach)

।। श्री गणेशाय नम:।।

ओम अस्य श्रीपंचमुख हनुम्त्कवचमंत्रस्य ब्रह्मा रूषि:।

पंचमुख विराट हनुमान देवता। ह्रीं बीजम्।

श्रीं शक्ति:। क्रौ कीलकम्। क्रूं कवचम्।

क्रै अस्त्राय फ़ट्। इति दिग्बंध्:।

श्री गरूड उवाच्।।

अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि।

श्रुणु सर्वांगसुंदर।

यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम्।।

पंचकक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम्।

बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम्।।

पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्।

दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटीकुटिलेक्षणम्।।

अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।

अत्युग्रतेजोवपुष्पंभीषणम भयनाशनम्।।

पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्।

सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।।

उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दिप्तं नभोपमम्।

पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।

ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।

येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यमं महासुरम्।।

जघानशरणं तस्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।

ध्यात्वा पंचमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।।

खड्गं त्रिशुलं खट्वांगं पाशमंकुशपर्वतम्।

मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुं।।

भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रा दशभिर्मुनिपुंगवम्।

एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।।

प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरण्भुषितम्।

दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानु लेपनम सर्वाश्चर्यमयं देवं हनुमद्विश्वतोमुखम्।।

पंचास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं शशांकशिखरं कपिराजवर्यम्।

पीताम्बरादिमुकुटै रूप शोभितांगं पिंगाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।।

मर्कतेशं महोत्राहं सर्वशत्रुहरं परम्।

शत्रुं संहर मां रक्ष श्री मन्नपदमुध्दर।।

ओम हरिमर्कट मर्केत मंत्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले।

यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुंच्यति मुंच्यति वामलता।।

ओम हरिमर्कटाय स्वाहा ओम नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा।

ओम नमो भगवते पंचवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाया।

ओम नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखाय गरूडाननाय सकलविषहराय स्वाहा।

ओम नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसंपत्कराय स्वाहा।

ओम नमो भगवते पंचवदनाय उर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय सकलजनवशकराय स्वाहा।


हनुमान पूजा विधि

सुबह उठकर  सबसे पहले स्नान करें।
इसके बाद पूजा मंदिर को साफ करें.
मंदिर में या घर पर ही हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करें।
इसके बाद लड्डुओं का भोग लगाएं.
और हनुमान जी को लाल वस्त्र अर्पित करें.
इसके बाद हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें.
आरती करके पूजा का समापन करें.
इसके बाद शंख बजाएं 


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