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Shani Sadesati: क्या होती है शनि की साढ़ेसाती, जानिए उपाय
जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Wed, 15 May 2024 04:39 PM IST
सार
Shani Sadesati: जब शनिदेव किसी राशि के दूसरे और बारहवें भाव में रहता है तो उस राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। इसी प्रकार साढ़े साती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, जो ढाई-ढाई वर्ष के तीन चरण होते हैं।
,शनि साढ़े साती- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Shani Sadesati: जब शनिदेव किसी राशि के दूसरे और बारहवें भाव में रहता है तो उस राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। इसी प्रकार साढ़े साती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, जो ढाई-ढाई वर्ष के तीन चरण होते हैं। इस प्रकार साढ़ेसाती की कुल अवधि साढ़े सात वर्ष होती है। जब शनि देव गोचर करके जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में स्थित होते हैं तो इसे शनि ढैय्या कहा जाता है। शनि ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष होती है। ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को अशुभ और कष्टकारी माना जाता है।
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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कष्टकारी होती है
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कष्टकारी मानी जाती है। हालाँकि, कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ढैय्या और साढ़ेसाती के अच्छे या बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कारण व्यक्ति को मानसिक, पारिवारिक आर्थिक, और शारीरिक समस्याओं का बहुत सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के उपाय भी बताए गए हैं।
शनि साढ़े साती का दूसरा चरण सबसे कष्टकारी होता है।
शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे कष्टकारी होता है, जब शनि बारहवें घर से पहले या मूल चंद्र घर में जाता है। इस चरण में व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति भारी कर्ज में डूब सकता है, इसके अलावा गलतफहमियों के कारण गंभीर वाद-विवाद और रिश्तों में दरार आ सकती है। इसके अलावा धन संबंधी परेशानियों के साथ-साथ आंखों से जुड़ी परेशानियां भी होती हैं।
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साढ़ेसाती से बचने के उपाय
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन काले जूते, चमड़े की चप्पलें, सरसों का तेल, नमक, लोहा, अनाज और बर्तन का दान करना चाहिए। इसके साथ ही आप धन का दान भी कर सकते हैं. हर शनिवार के दिन स्नान-ध्यान करें और इसके बाद जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें