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Kundali Mein Hans Rajyog: कुंडली में कैसे बनता है हंस राजयोग? कैसे होते हैं हंस योग में पैदा हुए जातक? जानिए

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Thu, 09 May 2024 03:26 PM IST
सार

Kundali Mein Hans Rajyog: वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कोई ग्रह बलवान होता है तो उस व्यक्ति को उस ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं

Kundali Mein Hans Rajyog
Kundali Mein Hans Rajyog- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Kundali Mein Hans Rajyog: वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कोई ग्रह बलवान होता है तो उस व्यक्ति को उस ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। देवगुरु बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे शुभ और अच्छे ग्रह माने गए हैं। देवगुरु बृहस्पति जब कुंडली में बलवान होते है तो व्यक्ति धर्म में आसक्ति रखने वाला और अपने पूर्वजों की परंपरा का पालन करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति को न सिर्फ उच्च कोटि की संतान प्राप्त होती है बल्कि वह अच्छे धन का भोग भी करता है।
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Kundali Mein Hans Rajyog
Kundali Mein Hans Rajyog- फोटो : JEEVANJALI
कुंडली में कैसे बनता है हंस राजयोग? 
वैदिक ज्योतिष के एक नियम के अनुसार अगर देवगुरु बृहस्पति धनु राशि, मीन राशि या अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान होकर किसी व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दशम भाव में विराजमान हो तो वह व्यक्ति हंस योग में जन्म लेने वाला कहा जाता है।
 
Kundali Mein Hans Rajyog
Kundali Mein Hans Rajyog- फोटो : JEEVANJALI
हंस राजयोग माना जाता है शुभ
विद्वानों का कहना है कि अगर देवगुरु बृहस्पति किसी व्यक्ति के चतुर्थ भाव में अपनी स्वराशि या उच्च राशि में स्थित हो तो ऐसा जातक बहुत ही अच्छे और कुलीन परिवार में जन्म लेता है। उसके पास उच्च श्रेणी के वाहन होते हैं। एक आलीशान मकान होता है और उस मकान में सभी सुख सुविधा उस व्यक्ति को प्राप्त होती है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में हंस योग प्रथम भाव में बनता है तो ऐसा व्यक्ति बहुत ही सरल हृदय और परोपकारी होता है। ऐसे व्यक्ति की शिक्षा और बुद्धि दोनों ही उच्च स्तर की होती है।
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Kundali Mein Hans Rajyog
Kundali Mein Hans Rajyog- फोटो : JEEVANJALI
कैसे होते हैं हंस योग में पैदा हुए जातक? 
देवगुरु बृहस्पति जब इस भाव में हंस योग का निर्माण करते हैं तो व्यक्ति को बहुत ही सभ्य परिवार की पत्नी प्राप्त होती है। उसकी पत्नी सद्गुणों से युक्त होती है और उसका भाग्य बहुत बलवान होता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में लगभग सभी तीर्थ की यात्रा कर लेता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में स्वराशि या उच्च राशि का बृहस्पति सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति अपने व्यापार में अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति को अपने परिवार में और समाज में अच्छा मान सम्मान प्राप्त होता है।

यदि यह हंस योग किसी व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव में बनता है तो ऐसा व्यक्ति बहुत बड़ा धार्मिक नेता या राजनेता भी बन सकता है। ऐसे व्यक्ति के उच्च पद पर विराजमान होने के योग बन जाते हैं। ऐसा व्यक्ति अपने समाज के लिए बहुत भलाई के कार्य करता है। यदि दिन गुरु बृहस्पति कर्क राशि में विराजमान होकर पुष्य नक्षत्र में हो तो ऐसे व्यक्ति के लिए जीवन में सफलता सदैव उसके द्वारा पर खड़ी रहती है। देवगुरु बृहस्पति हंस राजयोग का निर्माण करके व्यक्ति को उच्च कोटि का धार्मिक वक्ता भी बना सकते हैं।

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