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Hanuman Ji Katha: जानिए हनुमान जी को कैसे मिला चिरंजीवी होने का वरदान? पढ़िए ये दिलचस्प कहानी

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Sun, 19 May 2024 10:24 AM IST
सार

Hanuman ji ki Rochak Kahaniya: हनुमान जी को अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, संकट मोचन, राम भक्त, महाबली, बजरंगबली जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसके अलावा हनुमानजी को चिरंजीवी भी कहा जाता है।

Hanuman ji ki Rochak Kahaniya:
Hanuman ji ki Rochak Kahaniya:- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Hanuman ji ki Rochak Kahaniya: हनुमान जी को अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, संकट मोचन, राम भक्त, महाबली, बजरंगबली जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसके अलावा हनुमानजी को चिरंजीवी भी कहा जाता है। चिरंजीवी का अर्थ है अमर। कहा जाता है कि वह आज भी धरती पर सशरीर मौजूद हैं और अपने भक्तों की समस्याएं सुनते हैं और उनकी परेशानियां दूर करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजरंगबली को चिरंजीवी का वरदान किसने और क्यों दिया था? आइए जानते हैं इससे जुड़ी दिलचस्प कहानी के बारे में... 
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वाल्मिकी रामायण के अनुसार जब हनुमानजी ने अशोक वाटिका में माता सीता को अंगूठी दी थी, तब माता सीता ने हनुमानजी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। इसके बाद वे रावण के विरुद्ध युद्ध में श्री राम के प्रमुख सहयोगी बनकर लड़े और अयोध्या लौटकर उन्होंने श्री राम के प्रति अपनी भक्ति प्रकट की।
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वह प्रतिदिन एक परम भक्त की तरह उनकी सेवा करते थे, लेकिन जब भगवान श्री राम ने गोलोक छोड़ने का विचार किया तो यह सुनकर हनुमान जी बहुत दुखी हुए और वह अपना दुख लेकर सीता जी के पास पहुंचे। हनुमान जी ने माता सीता से कहा, 'माँ, आपने मुझे अमर होने का वरदान तो दिया है, लेकिन यह नहीं बताया कि जब मेरे प्रभु राम इस धरती से चले जायेंगे तो मैं क्या करूँगा?' उनके इतना कहते ही रामभक्त वरदान वापस लेने की जिद करने लगे।

तब माता सीता ने श्री राम का ध्यान किया और भगवान प्रकट हुए। प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को गले लगाते हुए कहा, 'पृथ्वी पर कोई भी प्राणी अमर नहीं है, लेकिन तुम्हें यह वरदान मिला हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब तक इस धरती पर राम का नाम लिया जाएगा, तब तक आप ही राम के भक्तों का उद्धार करेंगे।

अपने प्रभु की बात सुनकर हनुमान जी ने अपने हठ को त्याग दिया और इस वरदान को श्री राम की आज्ञा मानकर स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि हनुमान जी आज भी धरती पर वास करते हैं और भगवान राम के भक्तों की तकलीफों को सुनते हैं और उनका बेड़ा पार लगाते हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जीवांजलि उत्तरदायी नहीं है।

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