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Sankashti Chaturthi 2024: 27 अप्रैल को मनाई जाएगी संकष्टी चतुर्थी, इन मंत्रों से करें भगवान गणेश को प्रसन्न
jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 24 Apr 2024 05:16 PM IST
सार
Sankashti Chaturthi 2024 Date: 27 अप्रैल 2024 को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। यह तिथि प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है।
Sankashti Chaturthi 2024 Date- फोटो : JEEVANJALI
विस्तार
Sankashti Chaturthi 2024 Date: 27 अप्रैल 2024 को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। यह तिथि प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। भगवान गणेश को भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माना जाता है। इनकी पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश के साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। चंद्रमा की पूजा के बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि और किन मंत्रों से गणेश जी को प्रसन्न चलिए इस लेख में हम आपको बताते है।
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गणेश स्तुति का मंत्र
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥ श्री गणेश जी का गायत्री मंत्र
ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।
धन-संपत्ति प्राप्ति का मंत्र
ऊँ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
र्विघ्न हरण का मंत्र
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥
बाधांए दूर करने का मंत्र
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
'ॐ गं गणपतये नमः':
उपरोक्त मंत्र भगवान गणेश जी के बीज मंत्र 'गं' से मिलकर बना है। इस मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा:
उपरोक्त मंत्र को लक्ष्मी विनायक मंत्र के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि गणेश जी के इस मंत्र जाप से नौकरी और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और हर कार्य में तरक्की मिलती है।
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वरद चतुर्थी गणेश मंत्र जाप
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
उपरोक्त मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के समस्त रुके हुए कार्य पूर्ण होते है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा के लिए भगवान गणेश की मूर्ति को ईशान कोण में चौकी पर स्थापित करें।
- फिर चौकी पर लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
-भगवान गणेश को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- 'ओम गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करके भगवान गणेश की प्रार्थना करें।
- इसके बाद एक केले का पत्ता लें और उस पर रोली से चौकोर आकार बनाएं. चौकी के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें।
- संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम को चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। इस दिन चंद्रमा निकलने से पहले गणपति की पूजा करें।
- पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत खोलें।
- पूजा समाप्त होने के बाद और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन का दान करें और भगवान से प्रार्थना भी करें।