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Rohini Vrat May 2024: वैसाख माह में कब है रोहिणी व्रत? धन-सुख में वृद्धि के लिए ऐसे करें पूजन

jeevanjali Published by: निधि Updated Sat, 04 May 2024 05:46 PM IST
सार

Rohini Vrat May 2024: इस बार वैसाख के महीना में रोहिणी का व्रत 10 मई यानी शुक्रवार को रखा जाएगा. हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी वैशाख रोहिणी व्रत का बहुत महत्व है।

Rohini Vrat May 2024:
Rohini Vrat May 2024:- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Rohini Vrat May 2024: इस बार वैसाख के महीना में रोहिणी का व्रत 10 मई यानी शुक्रवार को रखा जाएगा. हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी वैशाख रोहिणी व्रत का बहुत महत्व है। खासकर जैन समुदाय के लोगों के बीच रोहिणी व्रत बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह वैशाख माह में पड़ रहा है। वैसे तो यह व्रत हर महीने आता है लेकिन वैशाख और कार्तिक महीने में पड़ने वाले रोहिणी व्रत का महत्व बहुत अलग है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिला के जीवन साथी को लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। वैसे यह व्रत पुरुष भी रखते हैं। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि यह व्रत कर्म के विकारों को दूर कर कर्म बंधन से मुक्ति दिलाता है। आइए जानते हैं वैशाख रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व। 
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रोहिणी व्रत का महत्व
रोहिणी व्रत का हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति के लिए रोहिणी व्रत रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी रोहिणी व्रत करता है उसे सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिल जाती है। जैन समुदाय में रोहिणी व्रत माता रोहिणी और भगवान वासुपूज्य का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है। जैन समुदाय इस व्रत को एक त्यौहार के रूप में मनाता है, कई पुरुष भी इस व्रत को रखते हैं।

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रोहिणी व्रत की पूजा विधि
- जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार रोहिणी व्रत में नीचे दिए गए तरीके से पूजा करें।
- ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त व्रत का संकल्प लें।
- भगवान वासुपूज्य की पंच रत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा स्थापित करें।
- प्रतिमा की पूजा पूरे दिन भगवान वासुपूज्य की आराधना करें।
- पूजा के बाद वस्त्र, पुष्प निर्वाह करें, फल मिठाई का भोग वस्त्र।
- मन में तृष्णा द्वेष जैसे कुविचारों को आने न दें।

उद्यापन का नियम 
- रोहिणी व्रत की नियमित तीन, पांच या सात साल तक करने के बाद उद्यापन किया जाता है। 
- जिन लोगों के लिए तीन या पांच साल यह व्रत रखना संभव न हो, वह 5 महीने के बाद भी उद्यापन कर सकते हैं। 

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