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Rohini Vrat 2024 Date: जैन समुदाय के लिए बेहद खास है रोहिणी व्रत, जानिए पूजा विधि
jeevanjali Published by: निधि Updated Mon, 06 May 2024 06:46 PM IST
सार
Rohini Vrat 2024 Date: जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है। इस बार रोहिणी व्रत 10 मई शुक्रवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जैन समुदाय में कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनमें से एक रोहिणी नक्षत्र है।
Rohini Vrat 2024 Date:- फोटो : JEEVANJALI
विस्तार
Rohini Vrat 2024 Date: जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है। इस बार रोहिणी व्रत 10 मई शुक्रवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जैन समुदाय में कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनमें से एक रोहिणी नक्षत्र है। यह व्रत हर महीने में एक बार आता है। सामान्यतः माह का 27वाँ दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ता है।
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रोहिणी व्रतका महत्व
ऐसी मान्यता है कि यह व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। यह व्रत रखने से मां रोहिणी जातक के घर से कंगाली को दूर भगाकर सुख एवं समृद्धि की वर्षा करती है। व्रत की पूजा के दौरान जातक मां से यह प्रार्थना करता है उसके द्वारा की गई सभी गलतियों को वे माफ करें और उसके जीवन में बने सभी कष्टों का हरण करें। इस व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना होता है। जैन समुदाय में इस व्रत का बेहद महत्व है। 27 नक्षत्रों में से रोहिणी भी एक है। जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। यह दिन प्रति 27 दिनों के बाद आता है, इस प्रकार रोहिणी व्रत वर्ष में बारह से तेरह बार किया जाता है।
क्यों रखा जाता है रोहिणी व्रत?
मान्यता है कि यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत को करने से मां रोहिणी व्यक्ति के घर से दरिद्रता को दूर कर देती हैं और सुख-समृद्धि की वर्षा करती हैं। व्रत पूजा के दौरान व्यक्ति देवी मां से प्रार्थना करता है कि वह उसकी सभी गलतियों को माफ कर दे और उसके जीवन की सभी परेशानियों को दूर कर दे। इस व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना पड़ता है।
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रोहिणी व्रतकी पूजा विधि
- रोहिणी व्रत एक निश्चित अवधि के लिए किया जाता है। जैसे आप इस व्रत को 3 साल, 5 साल या 7 साल तक कर सकते हैं।
- इस व्रत के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और भगवान वासुपूज्य की पंचरत्न, तांबे या सोने की मूर्ति स्थापित करें और उसकी पूजा करें।
फिर उन्हें दो वस्त्र, फूल, फल और नैवेद्य अर्पित करें। कहा जाता है कि इस दिन गरीबों को दान देना बहुत लाभकारी होता है इसलिए पूजा के बाद गरीबों को दान अवश्य करें।
- रोहिणी व्रत का पालन उदया तिथि पर रोहिणी नक्षत्र के दिन से शुरू होता है और अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक जारी रहता है।
- यह व्रत एक निश्चित अवधि तक ही किया जा सकता है इसलिए इसका उद्यापन करना बहुत जरूरी होता है।
- आप इस व्रत को कितने समय तक रखना चाहते हैं यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। व्रत की मानी गई अवधि पूरी होने के बाद इस व्रत को विधिपूर्वक मनाया जाता है। इसके लिए 5 साल 5 महीने की अवधि सबसे अच्छी मानी जाती है।
- उद्यापन के दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है और साथ ही गरीबों को दान दिया जाता है और उन्हें भोजन भी कराया जाता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए jeevanjali उत्तरदायी नहीं है।