विज्ञापन
Home  dharm  vrat  nirjala ekadashi 2024 know date importance yoga and pujan vidhi in hindi

Nirjala Ekadashi 2024: जून के महीने में कब है निर्जला एकादशी व्रत? जानिए तिथि, पूजा विधि और महत्व

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Wed, 29 May 2024 08:00 AM IST
सार

Nirjala Ekadashi 2024: पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है. इस साल निर्जला एकादशी 18 जून दिन मंगलवार को मनाई जाएगी।

Nirjala Ekadashi 2024:
Nirjala Ekadashi 2024:- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Nirjala Ekadashi 2024: पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है. इस साल निर्जला एकादशी 18 जून दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वैसे तो साल में कुल चौबीस एकादशियां तिथियां होती हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ है। इस दिन व्रत करने से चौबीस एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है। इस दिन पानी पीना भी वर्जित है इसलिए यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है। निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने के अलावा कुछ चीजों का दान करने से कई गुना लाभ मिलता है। तो आइए आज जानते हैं निर्जला एकादशी की तिथि, महत्व और पूजा विधि।
विज्ञापन
विज्ञापन

निर्जला एकादशी व्रत 2024 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत तिथि 17 जून 2024 दिन सोमवार को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी.जो 18 जून 2024 मंगलवार को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा.इस कारण निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को उदयातिथि होने के कारण रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय

निर्जला एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाएगा - इसे सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 07 बजकर 28 मिनट तक किया जा सकता है।
विज्ञापन

निर्जला एकादशी का महत्व

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी का व्रत और अनुष्ठान बहुत फलदायी होता है। इस दिन की गई पूजा और दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाली सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होता है। अगर आप साल में 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ इस एक व्रत से ही आप सारा पुण्य कमा सकते हैं। सभी एकादशियों पर हिंदू धर्म को मानने वाले लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत, पूजा और दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आनंद लेते हुए अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी भी एकादश है जिसमें व्रत रखने से पूरे साल की एकादशियों जितना पुण्य मिल सकता है। यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है।

सबसे कठिन माना जाता है निर्जला एकादशी का व्रत

जैसा कि महर्षि वेदव्यास ने भीम से कहा था, यह एकादशी का व्रत निर्जला रखना होता है, इसलिए इसे रखना बहुत कठिन होता है। क्योंकि एक तो पानी पीना भी वर्जित है और दूसरे, एकादशी का व्रत द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद खोला जाता है। इसलिए इसकी समयावधि भी काफी लंबी हो जाती है.

निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि

- सभी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वोत्तम व्रत माना जाता है इसलिए इस व्रत को पूरे परिश्रम से करना चाहिए। 
- व्रत करने से पहले भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु, आपकी दया मुझ पर बनी रहे और मेरे सभी पाप नष्ट हो जाएं। 
- निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक अन्न और जल का त्याग करें। 
- आप अपनी क्षमता के अनुसार भोजन, कपड़े, जूते आदि का दान कर सकते हैं। 
- जल से भरे घड़े को भी कपड़े से ढककर दान किया जाता है।
 -  ब्राह्मणों या किसी गरीब और जरूरतमंद को मिठाई और दक्षिणा भी देनी चाहिए। 
- इस दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप भी करना चाहिए।
-   इसके साथ ही निर्जला एकादशी की कथा भी पढ़नी या सुननी चाहिए। 
- द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मण को विधि-विधान से भोजन कराएं और फिर अन्न-जल ग्रहण करें। 
- व्रत करने वाले व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह स्नान और स्नान के अलावा गलती से भी पानी का सेवन न करें। 
- व्रत के दौरान भी नाम मात्र का ही पानी पीना चाहिए।

निर्जला एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान

1. भगवान विष्णु की पूजा करें। 
2. किसी भी परिस्थिति में पाप कर्म से बचें यानी पाप न करें।  
3. माता-पिता और गुरु के चरण स्पर्श करें। 
4. श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। 
5. श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। 
6. श्री रामचरितमानस के अरण्य काण्ड का पाठ करें। 
7. धार्मिक पुस्तक का दान करें। 
8. यह महीना गर्मी का है इसलिए पीने के पानी का इंतजाम जरूर करें। 
9. अपने घर की छत पर एक बर्तन में पानी भरकर रखें। 
10 श्री कृष्ण की आराधना करें।

जल दान करने का मंत्र

इस दिन व्रत करने वाले या जो व्रत नहीं भी कर रहे हैं उन्हें इस मंत्र का जाप करने के बाद शुद्ध जल से भरा एक घड़ा किसी जरूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥


यह भी पढ़ें-
Raksha Sutra: कितनी बार हांथ पर लपेटना चाहिए कलावा, जानिए
Ganga Dussehra 2024: क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा, जानिए इसका पौराणिक महत्व
Benefits Of Wear Kaudi In Hand: क्यों धारण की जाती है हाथ में कौड़ी? जानिए इसे पहनने के लाभ
विज्ञापन