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Navratri Mantra: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए?

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 03 Apr 2024 02:42 PM IST
सार

Navratri Mantra: देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिन बहुत खास माने जाते हैं। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य को सभी प्रकार के भय और बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।

Navratri Mantra: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
Navratri Mantra: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए मंत्र- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Navratri Mantra: देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिन बहुत खास माने जाते हैं। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य को सभी प्रकार के भय और बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। इन दिनों में आदिशक्ति स्वरूपा मां दुर्गा, महालक्ष्मी, महाकाली और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा और नियमित रूप से मंत्र जाप करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। मां महाकाली और दुर्गा के मंत्रों का जाप करने से भय से मुक्ति मिलती है। अत: मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करने से बुद्धि तेज होती है। जानिए माता के चमत्कारी मंत्रों और मंत्रों का वैज्ञानिक महत्व।
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सनातन धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व बताया गया है। मंत्र जाप का केवल आध्यात्मिक या धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी होता है। जब हम मंत्रों का जाप करते हैं तो लय बद्ध होकर स्वरों का उच्चारण करते हैं जिससे एक तरह का कंपन उत्पन्न होता है, जिसके द्वारा हमारे चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो हमारे शरीर और मस्तिष्क दोनों पर प्रभाव डालता है। जिससे हमारी मानिसक और शारीरिक शक्ति मजबूत होती है। आगे पढ़िए मां के प्रभावी मंत्र..

 

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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
 
बीज मंत्र:- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’। 
 
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
 
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
 
 या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 

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