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Varuthini Ekadashi 2024: जानें सुख और सौभाग्य दिलाने वाली वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व और पूजा विधि

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 01 May 2024 05:52 PM IST
सार

Varuthini Ekadashi 2024: सनातन परंपरा में पवित्र एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु की पूजा करके उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्त एकादशी का व्रत रखते हैं।

Varuthini Ekadashi 2024
Varuthini Ekadashi 2024- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Varuthini Ekadashi 2024: सनातन परंपरा में पवित्र एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु की पूजा करके उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्त एकादशी का व्रत रखते हैं। एक वर्ष में कुल 24 एकादशियाँ होती हैं। हालाँकि जब अधिकमास या मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आइए इस लेख में हम आपको बताते है वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व और पूजा विधि।

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मोक्ष प्रदान करने वाली पवित्र तिथि
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली यह पवित्र एकादशी, जिसे वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस वर्ष 04 मई को पड़ेगी। इस एकादशी के व्रत के संबंध में मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान मधुसूदन की पूजा का विधान

वरुथिनी एकादशी के व्रत में भगवान मधुसूदन की पूजा का विधान है। पुराणों में इस एकादशी को अत्यंत पुण्यदायिनी और सौभाग्य प्रदायिनी प्रदान करने वाली कहा गया है। पुराणों में इस व्रत की ऐसी महिमा बतायी गयी है कि जो भी यह व्रत रखकर भगवान मधुसूदन की पूजा करता है, उसके सारे पाप और ताप दूर हो जाते हैं। व्रत के पुण्य से व्यक्ति को स्वर्ग अथवा अन्य उत्तम लोक में स्थान प्राप्त होता है।
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वरुथिनी एकादशी का महात्मय

तिथियों में श्रेष्ठ मानी जाने वाली एकादशी के बारे में कहा गया है कि जो फल ब्राह्मणों को सोना दान देने, करोड़ों वर्ष तक तपस्या करने तथा कन्यादान करने पर मिलता है, वह मात्र इस पावन वरूथिनी एकादशी के व्रत करने से प्राप्त हो जाता है।

वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजन विधि

वरुथिनी एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करके विधि-विधान पूर्व कलश की स्थापना करें। जिसमें श्रीफल अर्थात् नारियल, आम के पत्ते, लाल रंग की चुनरी या कलाई नारा बांधें। इसके पश्चात् कलश देवता एवं भगवान मधुसूदन की धूप-दीप जला कर पूजा करें। भगवान को मिष्ठान, ऋतुफल यानी खरबूजा, आम आदि चढ़ाकर श्रीहरि का भजन कीर्तन एवं मंत्र का मनन करें। वरुथिनी एकादशी में व्रती को फलाहार का विधान है। 

वरुथिनी एकादशी व्रत का नियम

वरुथिनी एकादशी व्रत रखने वाले साधक को तमाम तरह के नियम-संयम का पालन करना पड़ता है। व्रत वाले दिन साधक को काम, क्रोध आदि पर पूर्ण नियंत्रण रखना होता है। साथ ही उसे झूठ बोलने और निंदा करने से बचना होता है। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने वाले के लिए पान, सुपारी एवं तैलीय पदार्थ का सेवन करना पूर्णत: वर्जित है। व्रती को इस दिन निद्रा का त्याग करके भगवान मधुसूदन का जागरण, भजन, कीर्तन एवं मंत्र जप करना चाहिए। व्रती को इस दिन भगवान के नाम और उनके अवतारों की कथा और कीर्तन करना चाहिए। द्वादशी के दिन भी लहसुन, प्याज, बैंगन, मांसाहार और मादक पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।

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