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Maa Maha Gauri Aarti: मां महागौरी की आरती और मंत्र से दूर होंगे सारे दुख-दर्द, बनी रहेगी माता रानी की कृपा

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 10 Apr 2024 05:57 PM IST
सार

Maa Maha Gauri Aarti: चैत्र नवरात्र शुरू हो गए हैं. नवरात्रि के पवित्र दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करना भक्तों के लिए बहुत खास माना जाता है।

माँ महागौरी आरती
माँ महागौरी आरती- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Maa Maha Gauri Aarti: चैत्र नवरात्र शुरू हो गए हैं. नवरात्रि के पवित्र दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करना भक्तों के लिए बहुत खास माना जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो गई है, जो 17 अप्रैल को समाप्त होगी। धार्मिक मान्यता है कि अगर नवरात्रि के दौरान सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी होती है। इन दिनों माता रानी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त देवी महागौरी की विधि-विधान से पूजा करते हैं उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही किसी भी तरह की बीमारी से छुटकारा मिलता है और परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ जीवन जीते हैं। इसके अलावा मां महागौरी की पूजा में आरती और मंत्र का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां महागौरी की आरती सुनने या पढ़ने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। तो आइए आज जानते हैं मां महागौरी की आरती और मंत्र....
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ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
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महागौरी स्तोत्र पाठ Maha Gauri Stotram


सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

महागौरी की आरती (Maha Gauri Ki Aarti)


जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥

भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥

सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥

'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥


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