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Budh Pradosh Vrat 2024: जानिए कब है माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत?शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

jeevanjali Published by: निधि Updated Sun, 18 Feb 2024 05:07 PM IST
सार

Magh Pradosh Vrat 2024 date: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। फरवरी माह का दूसरा प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 को रखा जाएगा।

माघ प्रदोष व्रत 2024 तिथि
माघ प्रदोष व्रत 2024 तिथि- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Magh Pradosh Vrat 2024 date: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। फरवरी माह का दूसरा प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। प्रदोष व्रत का महत्व दिन के अनुसार अलग-अलग होता है। चूंकि प्रदोष व्रत बुधवार को रखा जाता है इसलिए इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा। माघ महीना चल रहा है, माघ महीने में शिव की पूजा करना कई गुना फलदायी होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। साथ ही यह सभी प्रकार के कष्टों और पापों का भी नाश करता है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं माघ मास के कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...
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फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत 2024

फरवरी और माघ महीने का दूसरा बुध प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 को है। इस दिन बच्चों की बुद्धि के लिए सुबह और शाम भगवान गणेश के सामने हरी इलायची चढ़ाएं और 27 बार ओम बुद्धिप्रदाय नम: मंत्र का जाप करें।

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फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी 2024 को सुबह 11:27 बजे शुरू होगी और अगले दिन 22 फरवरी 2024 को दोपहर 01:21 बजे समाप्त होगी.

भगवान भोलेनाथ की आराधना का समय - शाम 06.15 - रात 08.47

प्रदोष व्रत का लाभ

संतान सुख के लिए शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ होता है। साथ ही धन में वृद्धि होती है। कुछ लोग ग्रह कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भी प्रदोष व्रत करते हैं।

बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि

-   बुध प्रदोष व्रत के दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

-  इसके बाद भगवान शिव का स्मरण कर व्रत और पूजा का संकल्प लें।

-  फिर शाम के शुभ समय में किसी शिव मंदिर जाएं या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करें।

- पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। इसके बाद सफेद चंदन का लेप लगाएं।

-    महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, सफेद फूल, शहद, भस्म, चीनी आदि चढ़ाएं। इस दौरान "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें।

- इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और बुध प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।

-  फिर घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव की आरती करें।

- इसके बाद क्षमा प्रार्थना के साथ पूजा समाप्त करें और भगवान शिव से अपनी इच्छाएं व्यक्त करें। अगले दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद फिर से भगवान शिव की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद व्रत खोलें।

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