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Vikata Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगी भगवान गणेश की कृपा

jeevanjali Published by: कोमल Updated Tue, 23 Apr 2024 05:01 PM IST
सार

Vikata Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह वैशाख की संकष्टी चतुर्थी भी है। इस व्रत में हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं 

विकट संकष्टी चतुर्थी
विकट संकष्टी चतुर्थी- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Vikata Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह वैशाख की संकष्टी चतुर्थी भी है। इस व्रत में हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं और रात के समय चंद्रमा की पूजा करने के साथ ही अर्घ्य देते हैं। जो लोग विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से करते हैं, उनके जीवन में आने वाली बाधाएं और बाधाएं दूर हो जाती हैं। गणपति बप्पा के आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी कब है? और इस दिन किस प्रकार से पूजा करनी चाहिए?

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विकट संकष्टी चतुर्थी किस दिन है?

वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि 28 अप्रैल सुबह 08 बजकर 21मिनट  तक वैध रहेगी. इस व्रत में चतुर्थी तिथि को चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य का समय महत्वपूर्ण है। इस आधार पर विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 27 अप्रैल, शनिवार को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है, लेकिन चतुर्थी तिथि पर चंद्रोदय उसी दिन होगा। अगले दिन चतुर्थी 28 अप्रैल को सुबह समाप्त होगी। इस कारण उस दिन व्रत करने का कोई औचित्य नहीं है।
 

विकट संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात्रि 10 बजकर 23 मिनट पर होगा। इस वजह से उसी समय से चंद्रमा की पूजा की जाएगी और अर्घ्य दिया जाएगा। विकट संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा पूजा का समय रात 10 बजकर 23 मिनट से है।

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परिघ योग में विकट संकष्टी चतुर्थी

इस बार विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत परिघ योग और ज्येष्ठा नक्षत्र में होगा। परिघ योग 27 अप्रैल की सुबह से 28 अप्रैल की सुबह 03.24 बजे तक है. ज्येष्ठा नक्षत्र भी सुबह से शुरू होकर 28 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.

विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देवी-देवताओं का ध्यान करके दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। - अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. मंदिर को साफ करें और गंगा जल छिड़क कर पवित्र करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। - अब गणपति बप्पा को दूर्वा और मोदक चढ़ाएं. देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है। इसके बाद भगवान गणेश को मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएं. अंत में प्रसाद को लोगों में बांट दें और खुद भी ग्रहण करें।
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