Home›dharm› varuthini ekadashi very auspicious yoga is being formed on varuthini ekadashi
Varuthini Ekadashi: वरुथिनी एकादशी पर बन रहे हैं बहुत ही शुभ योग, जानिए तिथि और पारण का समय
jeevanjali Published by: कोमल Updated Tue, 23 Apr 2024 05:00 PM IST
सार
Varuthini Ekadashi: वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरूथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार वरुथिनी एकादशी का व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी तिथि के व्रत का बहुत महत्व है।
वरुथिनी एकादशी- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Varuthini Ekadashi: वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरूथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार वरुथिनी एकादशी का व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी तिथि के व्रत का बहुत महत्व है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन जल दान करने से कई जन्मों का फल एक साथ मिलता है। इस बार वरूथिनी एकादशी पर कई दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं. आइए जानते हैं वरूथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व।
विज्ञापन
विज्ञापन
वरूथिनी एकादशी तिथि
इस वर्ष वरुथिनी एकादशी 03 मई 2024 दिन शुक्रवार को रात्रि 1124 बजे प्रारंभ होगी। वहीं, इसका समापन 4 मई 2024 दिन शनिवार को रात्रि 08:38 बजे होगा। उदयातिथि को देखते हुए वरूथिनी एकादशी व्रत 4 मई को रखा जाएगा। ऐसे में इस कठिन व्रत का पालन करने वाले भक्तों को तिथि और समय का ध्यान रखते हुए व्रत रखना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि व्रत रविवार 5 मई 2024 को खोला जाएगा. पारण का समय सुबह 05:37 बजे से 08:17 बजे तक है.
वरूथिनी एकादशी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं
वरूथिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग बन रहा है, जो बेहद शुभ माना जा रहा है. रात्रि 08 बजकर 38 मिनट पर त्रिपुष्कर योग प्रारम्भ होगा। साथ ही इसका समापन रात 10.07 बजे होगा. इसके साथ ही सूर्योदय से लेकर सुबह 11 बजकर 04 मिनट तक इंद्र योग रहेगा। इसके बाद वैधृति योग बनेगा।
विज्ञापन
जानिए पूजा विधि
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति वरूथिनी एकादशी का व्रत रखता है उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर जाएं और व्रत का संकल्प लें। फिर चंदन, अक्षत, फूल और फल से भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। वरुथिनी एकादशी पर पीपल के पेड़ की भी पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को पंचामृत अर्पित करें और मधुराष्टक का पाठ करें। इस दिन भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम का जाप भी करना चाहिए। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन राहगीरों को जल दान करना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले लोगों को केवल फल ही खाना चाहिए।
एकादशी व्रत का महत्व
वरूथिनी एकादशी का व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। वरूथिनी एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जाने-अनजाने में किए गए वे सभी पाप, जिनके बारे में व्यक्ति को पता नहीं होता, दूर हो जाते हैं।