विज्ञापन
Home  dharm  sunderkand why is sunderkand called beautiful know the secret

Sunderkand: सुंदरकांड को क्यों कहा जाता हैं 'सुंदर'? जानिए रहस्य

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Fri, 17 May 2024 10:40 AM IST
सार

Sunderkand: हनुमान जी अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट और परेशानियां दूर कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। इनकी पूजा में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती है.

सुन्दरकाण्ड का रहस्य
सुन्दरकाण्ड का रहस्य- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Sunderkand: हनुमान जी अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट और परेशानियां दूर कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। इनकी पूजा में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती है. हिंदू धर्म में सुंदरकांड पाठ का विशेष महत्व है। सुंदरकांठा पाठ में भगवान हनुमान के बारे में विस्तार से बताया गया है। तुलसीदास द्वारा रचित सुंदरकांड सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति नियमित अंतराल पर घर में सुंदरकांड का पाठ करता है उसे बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि सुंदरकांड का पाठ इतना महत्वपूर्ण क्यों है और इसे करने की पूजा विधि क्या है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रामायण में 7 अध्याय हैं

रामायण में कुल 7 कांड हैं। ये हैं 1. बालकाण्ड, 2. अयोध्याकाण्ड, 3. अरण्यकाण्ड, 4. किष्किन्धाकाण्ड, 5. सुन्दरकाण्ड, 6. लंकाकाण्ड और 7. उत्तरकाण्ड। रसराज जी महाराज बताते हैं कि तुलसी दास जी ने 7 कांड लिखे थे। इसके लिए उन्होंने सोपान शब्द का इस्तेमाल किया था. वाल्मिकी जी ने इसे काण्ड कहा। सुंदरकांड में श्री हनुमान जी की मुख्य भूमिका है और शायद यही कारण है कि यह भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। वैसे राम चरित मानस में हनुमान जी का आगमन किष्किन्धाकांड से ही होता है। सुन्दरकाण्ड में लगभग 60 दोहे हैं। शनिवार और मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है।
विज्ञापन

इसका नाम 'सुंदरकांड' क्यों है?

जब हनुमान जी लंका जाते हैं तो उन्हें अशोक वाटिका में माता सीता के दर्शन होते हैं, लंका दहन भी इसी दौरान होता है। रामायण के इस अध्याय को सुंदरकांड कहा जाता है। इस पर कथावाचक और संगीतज्ञ रसराज जी महाराज बताते हैं कि दरअसल पूरे सुंदरकांड में 'सुंदर' शब्द का प्रयोग 8 बार हुआ है. हनुमानजी ने लंका में जिस भूतल पर छलांग लगाई थी उसका नाम 'सुंदर' था। इसके अलावा जब जनुमानजी पेड़ पर बैठकर भगवान श्री राम की अंगूठी माता सीता के सामने गिरा देते हैं, तब भी अंगूठी पर लिखे राम नाम को 'सुंदर' कहकर संबोधित किया जाता है। यानी ऐसा 8 बार हो चुका है. इसके अलावा रावण द्वारा अपहरण के बाद यह पहला मौका था, जब माता सीता को कोई सकारात्मक 'सुंदर' संदेश मिला. इसीलिए इस अध्याय को सुन्दरकाण्ड कहा जाता है।

 एक कहानी यह भी है कि रावण की लंका का निर्माण तीन पर्वतों 'त्रिकुटाचल' से हुआ था। इसमें 'सुंदर' नामक पर्वत पर अशोक वाटिका का निर्माण कराया गया, जहां माता सीता को रखा गया था। क्योंकि माता सीता और हनुमान जी का मिलन लंका के इसी खूबसूरत पर्वत पर बनी अशोक वाटिका में हुआ था, इसलिए इसे 'सुंदरकांड' कहा जाता है।

Chaturmas 2024: कब से शुरु हो रहा है चतुर्मास, जानिए तिथि और महत्व
Markesh Dosh: कुंडली में कैसे बनता है मारकेश दोष, जानिए मुक्ति पाने के उपाय
Kundali Mein Dosh: कुंडली में होते हैं ये 9 प्रकार के दोष, एक भी हो जाए तो शुरू हो जाता है बुरा समय
विज्ञापन