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Parshuram jayanti 2024: परशुराम जयंती पर जानिए भगवान परशुराम से जुड़ी खास बातें

jeevanjali Published by: निधि Updated Sat, 04 May 2024 05:21 PM IST
सार

Parshuram jayanti 2024: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है।

Parshuram jayanti 2024:
Parshuram jayanti 2024:- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Parshuram jayanti 2024: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है. इस बार 10 मई 2024 को परशुराम जयंती है. इस दिन भगवान परशुराम की विधि-विधान से पूजा की जाती है और जुलूस निकाले जाते हैं. भगवान परशुराम का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, लेकिन उनका स्वभाव और गुण क्षत्रियों जैसे थे। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सात ऐसे शाश्वत देवता हैं, जो युगों-युगों से इस धरती पर मौजूद हैं। इन्हीं में से एक हैं भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम। आइए जानते हैं भगवान परशुराम के जीवन से जुड़ी कुछ बातें...
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1.न्याय के देवता 
परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनका जन्म भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। भगवान शिव के परमभक्त परशुराम जी को न्याय का देवता माना जाता है।

2.गणपति को भी दिया था दंड
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम के क्रोध से स्वयं गणेश जी भी नहीं बच पाये थे। ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। जिसके बाद भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे।
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3. हर युग में रहे मौजूद
रामायण और महाभारत दो युगों की पहचान हैं। रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा।

4.भगवान कृष्ण को दिया चक्र
रामायण काल में सीता स्वयंवर में धनुष टूटने के पश्चात् परशुराम जी जब क्रोधित हुए और उनका लक्ष्मण से संवाद हुआ तो उसके बाद भगवान श्री राम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र सौंपा था। वही सुदर्शन चक्र परशुराम जी ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण को वापस किया। 

5. कर्ण को दिया था यह श्राप
परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी। कर्ण ने भगवान परशुराम से झूठ बोलकर शिक्षा ग्रहण की थी। जब यह बात परशुराम जी को पता चली तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जिस विद्या को उसने झूठ बोलकर प्राप्त की है, वही विद्या युद्ध के समय वह भूल जाएगा और कोई भी अस्त्र या शस्त्र नहीं चला पाएगा। भगवान परशुराम का यही श्राप अंतत: कर्ण की मृत्यु का कारण भी बना। 

6. 21 बार किया क्षत्रियों का नाश
भगवान परशुराम कभी अकारण क्रोध नहीं करते थे। जब सम्राट सहस्त्रार्जुन का अत्याचार व अनाचार अपनी चरम सीमा लांघ गया तब भगवान परशुराम ने उसे दंडित किया। भगवान परशुराम को जब अपनी मां से पता चला कि ऋषि-मुनियों के आश्रमों को नष्ट और अकारण उनका वध करने वाला दुष्ट राजा सहस्त्रार्जुन ने उनके आश्रम में आग लगा दी और कामधेनु छीन कर ले गया। तब उन्होंने पृथ्वी को दुष्ट क्षत्रियों से रहित करने का प्रण किया। इसके पश्चात् उन्होंने सहस्त्रार्जुन की अक्षौहिणी सेना व उसके सौ पुत्रों के साथ ही उसका भी वध कर दिया। भगवान परशुराम ने 21 बार दुष्ट क्षत्रियों का विनाश किया। 

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