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Panch Dev: कौन हैं पंचदेव, क्या है इनकी पूजा का महत्व और विधि जानिए

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Thu, 30 May 2024 07:08 AM IST
सार

Panch Dev: जैसा की इतिहास में ऐसा वर्णन किया गया है कि मनुष्य जीवन की उत्पत्ति से भी पहले कुछ ऐसी महाशक्तियां थी जिसे पूरे ब्रह्माण्ड का संचालन होता आया है, और बाद में मनुष्य की आस्था और पूजा का आधार भी यही शक्तियां बनी

पंचदेव
पंचदेव- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Panch Dev: जैसा की इतिहास में ऐसा वर्णन किया गया है कि मनुष्य जीवन की उत्पत्ति से भी पहले कुछ ऐसी महाशक्तियां थी जिससे पूरे ब्रह्माण्ड का संचालन होता आया है, और बाद में मनुष्य की आस्था और पूजा का आधार भी यही शक्तियां बनी  जिन्हें वेदों मे पंच देवों की उपाधि दी गई हैं,चलिए आज के इस लेख में आपको बताते हैं कि पंचदेव कौन है

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पंच देव कौन हैं? 

शास्त्रों में कई जगहों पर भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्माजी, गणेशजी और जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को पंच देव कहा गया है। वहीं कई जगहों पर सूर्य देव, भगवान गणेश, शिवजी, विष्णुजी और ब्रह्माजी को पंच देव कहा गया है। इनमें सबसे पहले सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसके बाद भगवान गणेश, मां दुर्गा, भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है। वास्तु शास्त्र में भी पंच देवों का उल्लेख किया गया है। इस शास्त्र के अनुसार ईशान कोण भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए भगवान विष्णु को इसी कोने में स्थापित करना चाहिए। वहीं भगवान शिव को दक्षिण-पूर्व कोने में स्थापित करना चाहिए। जबकि भगवान गणेश को दक्षिण-पश्चिम कोने में और जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को उत्तर-पश्चिम कोने यानी उत्तर और पश्चिम दिशा में स्थापित करना चाहिए। साथ ही घर के बीच में इष्ट देव या सूर्य देव को स्थापित करें। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार दिशा और कोण के अनुसार देवताओं की स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं सूर्य उपासना के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि पंच देव की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही घर में शुभता आती है।

पंच देवों की पूजा का महत्व

ब्रह्मांड की रचना में पांच तत्वों का बहुत महत्व है- वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश। इन पांच तत्वों को आधार मानकर पंचदेव की पूजा की जाती है।

भगवान सूर्य नारायण
पूरा ब्रह्मांड सूर्य से प्रकाशित है। सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। पांच तत्वों में सूर्य को आकाश का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए सूर्य देव की पूजा की जाती है।
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भगवान गणेश
सभी देवताओं में गणेश जी सबसे पहले पूजे जाते हैं। इन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसीलिए हर शुभ कार्य में सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है। ताकि काम बिना किसी बाधा के पूरा हो जाए।

भगवान शिव, मां दुर्गा
ब्रह्मांड की शुरुआत भगवान शिव और शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा दोनों से होती है। ये पूरे जगत के माता-पिता हैं। मां दुर्गा स्वयं प्रकृति हैं और भगवान शिव देवों के देव हैं। जीवन और काल भी उनके अधीन हैं।

श्री हरि विष्णु
भगवान श्री हरि विष्णु संपूर्ण जगत के पालनहार हैं। सृष्टि के संचालन का दायित्व उन्हीं पर है। इसलिए प्रत्येक शुभ कार्य में विष्णु जी की पूजा का प्रावधान है। देवउठनी एकादशी से विष्णु जी के जागने के बाद ही शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं।



पंचदेव की पूजा विधि

सूर्यदेव की पूजा विधि

भगवान सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन हमें प्रतिदिन होते हैं। सनातन परंपरा में भगवान सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने को विशेष महत्व दिया गया है। सूर्य की पूजा करने के लिए प्रतिदिन सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल और अक्षत डालकर अर्घ्य देना चाहिए। भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। नमो नमस्तेस्तु सदा विभावसो, सर्वमने सप्तहाय भानवे। अनंतशक्तिर्मनि भूषणेन, वदस्व भक्तिं मम मुक्तिमव्ययम्।

भगवान गणेश की पूजा विधि
सनातन परंपरा में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना गया है। ऋद्धि-सिद्धि के दाता गणपति की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और शुभ लाभ प्राप्त होते हैं। गणपति की कृपा पाने के लिए उन्हें मोदक और दूर्वा अर्पित करें, जो उन्हें बहुत प्रिय हैं, उनकी पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें। गजाननं भूत गणादि सेवतं, कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।

भगवान विष्णु की पूजा विधि
सनातन परंपरा में भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का पालनहार माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा से भक्त को जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती। भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले फूल, पीली मिठाई का प्रसाद, पीला तिलक लगाना चाहिए और भगवान के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

देवी दुर्गा की पूजा विधि
जीवन में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे शक्ति के आशीर्वाद की आवश्यकता न हो। शक्ति की पूजा के बिना कोई भी पूजा अधूरी है। देवी दुर्गा की पूजा करने से जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की कामना पूरी होती है। शक्ति की पूजा में श्रृंगार का सामान, नारियल, मिठाई, फल और लाल फूल चढ़ाते समय नीचे दिए गए मंत्र का पूरी आस्था और विश्वास के साथ जाप करना चाहिए। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

भगवान शिव की पूजा विधि
सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा बहुत ही सरल और लाभकारी मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्त को जीवन में किसी भी प्रकार का भय, रोग, शोक नहीं होता। भगवान शिव इतने भोले और दयालु हैं कि वे केवल गंगा जल और बेल पत्र चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव पूजा में अपनी श्रद्धा के अनुसार फल, फूल, बेलपत्र, शमीपत्र आदि चढ़ाते समय नीचे दिए गए मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करना चाहिए।

 

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