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Navratri 2024: नवरात्रि में कैसे करें चौकी की स्थापना, जानिए पूरी विधि

jeevanjali Published by: कोमल Updated Tue, 02 Apr 2024 03:56 PM IST
सार

Navratri 2024: देशभर में नवरात्रि का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का अर्थ है 'नौ विशेष रातें'। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा की जाती है।

नवरात्रि 2024
नवरात्रि 2024- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Navratri 2024: देशभर में नवरात्रि का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का अर्थ है 'नौ विशेष रातें'। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान शुभ फल पाने के लिए आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। आपको बता दें कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन माता की चौकी सजाई जाती है और घटस्थापना की जाती है। माता की चौकी का बहुत महत्व है। आइए हम आपको बताते हैं. कैसे सजाएं माता की चौकी.
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चैत्र नवरात्रि 2024 कब है?

सनातन धर्म में नवरात्रि के पर्व को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगी और 17 अप्रैल को समाप्त होगी. ऐसे में 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी इस दिन आप मां दुर्गा की विशेष पूजा कर सकते हैं



चैत्र नवरात्रि 2024 घटस्थापना समय

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कलश स्थापना मुहूर्त - प्रातः 06.02 मिनट से प्रातः 10.16 मिनट तक ( (9 अप्रैल 2024)

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11.57 मिनट से दोपहर 12.48 मिनट तक (9 अप्रैल 2024) इस दिन मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.


चौकी कैसे स्थापित करें

- कैसे करें दुर्गा मां चौकी की स्थापना
- सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी लें. इसे गंगाजल और शुद्ध जल से धोकर शुद्ध कर लें।
- फिर इसे साफ कपड़े से पोंछ लें. उस पर लाल कपड़ा बिछाएं.
- कलश को चौकी के दाहिनी ओर रखें।
- चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति या फिर उनके चित्र की स्थापना करें।
- फिर मां को चुनरी ओढ़ाएं और अगरबत्ती जलाएं.
- अगर आप इसका पालन कर सकें तो 9 दिनों तक माता की अखंड ज्योत जलाएं। अन्यथा आप केवल पूजा के दौरान ही दीपक जला सकते हैं।
- देवी मां को तिलक लगाएं.उन्हें सुहाग का सामान यानि हल्दी, कुमकुम, सिन्दूर, अष्टगंध, वस्त्र, चंदन, मंगलसूत्र, हरी चूड़ियाँ, फूल माला, इत्र, फल, मिठाई, काजल आदि अर्पित करें।
- इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद देवी मां के स्तोत्र और सहस्रनाम का पाठ करें।
- इसके बाद मां दुर्गा की आरती करें. आपको बता दें कि देवी मां के हर स्वरूप की अलग-अलग आरती होती है।
- ध्यान रखें कि सुबह और शाम देवी मां की विधिवत पूजा करें और अनाज पर जल भी छिड़कें।
 

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