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Maa Saraswati Puja: किस दिन करनी चाहिए मां सरस्वती की पूजा, जानिए विधि और पूजा मंत्र

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Sat, 18 May 2024 08:09 AM IST
सार

Maa Saraswati Puja:  देवी सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि, कला और रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है।  सनातन धर्म में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है।वह पवित्रता, अनुग्रह और वाक्पटुता का प्रतिनिधित्व करती है

माँ सरस्वती
माँ सरस्वती- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Maa Saraswati Puja:  देवी सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि, कला और रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है।  सनातन धर्म में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है।वह पवित्रता, अनुग्रह और वाक्पटुता का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। मां सरस्वती को शारदा, ब्रह्मचारिणी, जगन्माता आदि नामों से भी जाना जाता है। ज्यादातर लोग बसंत पंचमी के दिन वेदमाता की पूजा करते हैं, लेकिन अगर गुरुवार के दिन देवी की पूजा की जाए तो उनका विशेष आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन का अंधकार दूर होकर प्रकाश का संचार होता है।
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गुरुवार के दिन मां सरस्वती की पूजा करें

गुरुवार को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है, लेकिन यह दिन मां सरस्वती को भी समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को जीवन में कभी भी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। व्यक्ति कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है. इसलिए गुरुवार के दिन मां सरस्वती की पूजा करें।



मां सरस्वती की पूजा विधि

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सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें.
जो लोग व्रत रखना चाहते हैं उन्हें सुबह ही व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
देवी को गंगाजल से स्नान कराएं।
उन पर हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाएं।
देसी घी का दीपक जलाएं.
पीले फूलों की माला चढ़ाएं.
पीली मिठाई और घर में बने अन्य पकवानों का भोग लगाएं।
देवी के सामने किताबें, संगीत वाद्ययंत्र और अन्य चीजें रखें।
मां सरस्वती की पूजा करते समय चालीसा और उनके वैदिक मंत्रों का जाप जरूर  करें।
पूजा का समापन आरती से करें.
अंत में गलती के लिए क्षमा मांगें।
पूजा के बाद प्रसाद जरूर बांटे।
तामसिक बातों से दूर रहें।

मां सरस्वती की पूजा का मंत्र

पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।।

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