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Hanuman Ji ki Leela: भगवान हनुमान ने क्यों चीरा अपना सीना, जानिए पौराणिक कथा

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Wed, 29 May 2024 04:56 PM IST
सार

Hanuman Ji ki Leela: कलयुग के देवता भगवान राम के परम भक्त हनुमान बेहद शक्तिशाली हैं। उनकी राम भक्ति के बारे में कौन नहीं जानता। मान्यता है कि अगर बजरंगबली को प्रसन्न करना है तो उनका नाम जपने की जगह भगवान राम का नाम जपना चाहिए।

हनुमान जी
हनुमान जी- फोटो : jeevanjali

विस्तार


Hanuman Ji ki Leela: कलयुग के देवता भगवान राम के परम भक्त हनुमान बेहद शक्तिशाली हैं। उनकी राम भक्ति के बारे में कौन नहीं जानता। मान्यता है कि अगर बजरंगबली को प्रसन्न करना है तो उनका नाम जपने की जगह भगवान राम का नाम जपना चाहिए। इससे वे बेहद प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। बाल ब्रह्मचारी हनुमान की निस्वार्थ भक्ति और अनन्य प्रेम को देखकर उन्होंने भगवान राम के हृदय में ऐसी जगह बनाई कि दुनिया उन्हें भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त मानती है।  आज के इस लेख में हम आपको हनुमान जी की प्रभु राम के प्रति ऐसी ही भक्ति की एक कथा के बारे में बताएंगे 
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भगवान हनुमान को दी गई कीमती माला

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद दरबार में मौजूद सभी लोगों को उपहार दिए जा रहे थे। इस दौरान माता सीता ने अपने प्रिय हनुमान को रत्नजड़ित एक कीमती माला दी। हनुमान जी प्रसन्न मन से उस माला को लेकर थोड़ी दूर चले गए और उसे अपने दांतों से तोड़ते हुए माला के मोतियों को बड़े ध्यान से देखने लगे। इसके बाद दुखी होकर उन्होंने एक-एक करके सभी मोती तोड़कर फेंक दिए। जब दरबार में उपस्थित लोगों ने यह सब देखा तो सभी आश्चर्यचकित हो गए। जब हनुमान जी मोतियों को तोड़कर फेंक रहे थे तो लक्ष्मण जी को उनके इस कृत्य पर बहुत क्रोध आया, उन्होंने इसे श्री राम का अपमान समझा। उन्होंने भगवान राम से कहा, 'हे प्रभु, माता सीता ने हनुमान को अमूल्य रत्नों और मोतियों की एक माला दी थी और उन्होंने उस माला को तोड़कर फेंक दिया।



हनुमान जी ने अपना सीना क्यों फाड़ा

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जिसके बाद भगवान राम ने कहा, 'हे अनुज, तुम मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हो, हनुमान ने उन रत्नों को क्यों तोड़ा, इसका कारण केवल वही जानते हैं। इसलिए इस जिज्ञासा का उत्तर हनुमान से ही मिलेगा। तब राम भक्त हनुमान ने कहा, 'जिस चीज में मेरे प्रभु राम का नाम नहीं है, वह मेरे लिए बेकार है। मैंने इस माला को अमूल्य समझकर लिया था, लेकिन जब मैंने इसे देखा तो पाया कि इसमें कहीं भी राम नाम नहीं है। उन्होंने कहा, मेरी समझ से श्री राम के नाम के बिना कोई भी वस्तु अमूल्य नहीं हो सकती। अतः मेरे अनुसार इसका त्याग कर देना चाहिए। यह सुनकर भाई लक्ष्मण ने कहा कि यदि आपके शरीर पर राम का नाम नहीं है तो आप इस शरीर को क्यों धारण किए हुए हैं? हनुमान, आपको भी यह शरीर त्याग देना चाहिए। लक्ष्मण की बातें सुनकर हनुमान ने अपने नाखूनों से अपनी छाती फाड़कर लक्ष्मण जी सहित सभी को दिखाई, जिसमें श्री राम और माता सीता की सुंदर छवि दिखाई दे रही थी। यह घटना देखकर लक्ष्मण जी आश्चर्यचकित हो गए, और उन्होंने हनुमान जी से अपनी भूल के लिए क्षमा मांगी।

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