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Gayatri Jayanti 2024: कब है गायत्री जयंती? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Mon, 03 Jun 2024 08:00 AM IST
सार
Gayatri Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, गायत्री जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
Gayatri Jayanti 2024:- फोटो : JEEVANJALI
विस्तार
Gayatri Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, गायत्री जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गायत्री जयंती माता गायत्री का जन्मोत्सव है। इसलिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना जाता है। गायत्री जयंती के दिन विधि-विधान से गायत्री माता की पूजा करनी चाहिए। हिंदू धर्म शास्त्रों में माता गायत्री को वेद माता के नाम से जाना जाता है। माता गायत्री के पांच मुख और दस हाथ हैं। इस रूप में चार मुख चार वेदों का प्रतीक हैं और उनका पांचवां मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। माता के दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक हैं। इतना ही नहीं, माता गायत्री को त्रिदेवों की उपासिका भी कहा जाता है। आइए जानते हैं गायत्री जयंती की तिथि, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त...
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गायत्री जयंती 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से होगी और वहीं, इसका समापन 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में गायत्री जयंती का पर्व 17 जून को मनाया जाएगा।
पूजा शुभ मुहूर्त का समय- सुबह 08.53 बजे से 10.37 बजे तक
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गायत्री जयंती का महत्व
सनातन धर्म में गायत्री जयंती का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चारों वेदों की उत्पत्ति मां गायत्री से हुई है। ऐसा कहा जाता है कि गायत्री जयंती के दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों को वेदों के अध्ययन के समान फल मिलता है। यह दिन शिक्षा प्राप्त करने वालों और आध्यात्मिक शिक्षा देने वालों के लिए बहुत अच्छा है। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व है।
- गायत्री जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- कपड़े पहनने के बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें।
- वइसके बाद मां गायत्री और सभी देवी-देवताओं को प्रणाम करें और दीप जलाएं।
- मां गायत्री का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।
- इसके बाद आसन पर बैठकर वहीं गायत्री मंत्र का जाप करें।
- जाप पूरा होने के बाद मां को भोग लगाएं।