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Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर बन रहे हैं बहुत शुभ योग, जानें महत्व और पौराणिक कथा

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Tue, 28 May 2024 06:07 AM IST
सार

Ganga Dussehra 2024: हिन्दू धर्म में गंगा नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में इन्हें मोक्षदायिनी कहा गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

गंगा दशहरा
गंगा दशहरा- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Ganga Dussehra 2024: हिन्दू धर्म में गंगा नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में इन्हें मोक्षदायिनी कहा गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व को मां गंगा की आराधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार यह पर्व ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस साल गंगा दशहरा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं गंगा दशहरा की तारिख और शुभ मुहुर्त।
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गंगा दशहरा 2024 तिथि - Ganga dussehra 2024 date

वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 16 जून को प्रातः 02:32 मिनट प्रारंभ हो रही है और यह तिथि 17 जून को प्रातः 04:40 मिनट समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 16 जून 2024 दिन रविवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

गंगा दशहरा 2024 शुभ योग - Ganga Dussehra 2024 auspicious yoga

पंचांग में बताया गया है कि गंगा दशहरा के दिन सुबह 11.13 मिनट तक हस्त नक्षत्र रहेगा और उसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू हो जाएगा. साथ ही इस खास दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है, जो पूजा के लिए सर्वोत्तम माने गए हैं। इस शुभ समय में पूजा करने से पूर्ण फल मिलता है।
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गंगा दशहरा का महत्व -  Importance of Ganga Dussehra

धार्मिक ग्रंथों में मां गंगा को मोक्षदायिनी बताया गया है। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन पवित्र स्नान करने से रोग-दोष आदि से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। धार्मिक ग्रंथों में यह भी बताया गया है कि गंगा नदी की उत्पत्ति भगवान शिव की जटाओं से हुई है। ऐसे में इस खास दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से भी विशेष लाभ और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस खास दिन पर पितरों को तर्पण देना भी लाभकारी होता है।

गंगा दशहरा कथा - Ganga Dussehra story

कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को श्राप दिया था, जिसके कारण वे जलकर भस्म हो गये। उन लोगों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी का झूठा आरोप लगाया था। 60 हजार पुत्रों के भस्म हो जाने की खबर से राजा सगर सदमे में आ गए और उनका हृदय टूट गया।

राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष दिलाने के लिए उन्हीं के कुल के राजा भगीरथ ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। जब ब्रह्म देव ने राजा भगीरथ से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने मां गंगा को धरती पर अवतरित करने का वरदान मांगा।

ब्रह्म देव ने कहा कि इसके लिए आप भगवान शिव को प्रसन्न करें, वही एकमात्र व्यक्ति हैं जो गंगा के वेग और भार को सहन कर सकते हैं। तब भगीरथ ने अपनी कठोर तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया।

उन्होंने राजा भगीरथ से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने उन्हें ब्रह्मा जी के बारे में बताया। शिव जी सहमत हो गये. जब ब्रह्मा जी ने स्वर्ग में बहती हुई गंगा को अपने कमंडल से छोड़ा तो वह बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ी। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समेटा और बांध लिया। अब समस्या यह हो गई कि वह शिव की जटाओं से बाहर नहीं निकल सकती थी।

तब राजा भगीरथ ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और मां गंगा से अनुरोध किया कि वह अपनी जटाओं के माध्यम से पृथ्वी पर अवतरित होकर उन्हें आशीर्वाद दें। इसके बाद मां गंगा शिव की जटाओं से निकलकर धरती पर अवतरित हुईं।

आगे-आगे राजा भगीरथ और उनके पीछे-पीछे माँ गंगा पृथ्वी पर बहने लगीं। मां गंगा के स्पर्श से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हो गया और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। तभी से मां गंगा धरती पर बहने लगीं और उनके स्पर्श से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
 

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