Home›dharm› akshaya tritiya 2024 when is akshaya tritiya know auspicious time and importance
Akshaya Tritiya 2024: कब है अक्षय तृतीया? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
jeevanjali Published by: कोमल Updated Wed, 03 Apr 2024 12:43 PM IST
सार
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई को है। अक्षय तृतीया सोना खरीदने के लिए बहुत शुभ है। इस दिन सोना खरीदने से घर में खुशियां आती हैं।
अक्षय तृतीया- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Akshaya Tritiya 2024:अक्षय तृतीया हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई को है। अक्षय तृतीया सोना खरीदने के लिए बहुत शुभ है। इस दिन सोना खरीदने से घर में खुशियां आती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किया जा सकता है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया की तिथि, शुभ मुहूर्त और योग के बारे में।
विज्ञापन
विज्ञापन
अक्षय तृतीया कब है - Akshaya tritiya kab hai
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया इस साल 10 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 4:17 मिनट से शुरू होगी और 11 मई को सुबह 2:50 मिनट तक रहेगी। मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ समय सुबह 5.49 मिनट से 12.23 मिनट तक है.
विज्ञापन
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया जीवन में सुख और सौभाग्य लाती है। इस दिन किया गया कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य कई गुना अधिक फलदायी माना जाता है। इस दिन कोई नया काम शुरू करना, वाहन या सोना खरीदना बहुत शुभ होता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन पूरे दिन अज्ञात मुहूर्त रहता है। विवाह जैसे शुभ कार्य के लिए शुभ समय देखने की आवश्यकता नहीं होती है।
देशभर में अक्षय तृतीया की धूम है
जहां उत्तर भारत में लोग व्रत रखते हैं और नदी स्नान करते हैं, वहीं राजस्थान और गुजरात जैसे पश्चिमी राज्यों में लोग इस दिन सोने या चांदी के बर्तन खरीदते हैं। दक्षिणी राज्यों, केरल और तमिलनाडु में इस दिन आखा तीज की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इस दिन पूरे दिन विवाह और गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं। जैन धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि इसी दिन प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने गन्ने का रस पीकर अपना उपवास समाप्त किया था।