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Panchang Ke Ang: क्या है पंचांग, जानें पंचांग के पांच अंग
जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: कोमल Updated Thu, 30 May 2024 06:07 AM IST
सार
Panchang Ke Ang: हिंदू पंचांग हिंदू समाज द्वारा पालन किया जाने वाला कैलेंडर है। लगभग पूरे भारत में इसका अलग-अलग रूपों में पालन किया जाता है। पंचांग का शाब्दिक अर्थ है पंच + अंग = पाँच अंग यानि पंचांग।
पंचांग- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Panchang Ke Ang: हिंदू पंचांग हिंदू समाज द्वारा पालन किया जाने वाला कैलेंडर है। लगभग पूरे भारत में इसका अलग-अलग रूपों में पालन किया जाता है। पंचांग का शाब्दिक अर्थ है पंच + अंग = पाँच अंग यानि पंचांग। यह हिंदू समय गणना की विधि से बना पारंपरिक कैलेंडर या समय-सूचक है। इसका नाम पंचांग इसलिए पड़ा क्योंकि यह पाँच प्रमुख भागों से बना है, जो इस प्रकार हैं, तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं, पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति।
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पंचांग के पांच अंग
जैसा कि हमने बताया, पंचांग पाँच भागों तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर बना है। आइए इन भागों के बारे में संक्षिप्त जानकारी जानते हैं। तिथि
चंद्रमा के एक चरण को तिथि कहते हैं। चंद्रमा और सूर्य के अंतराल का मान 12 डिग्री होने पर एक तिथि बनती है। जब अंतर 180 डिग्री का होता है, तो उस समय को पूर्णिमा कहते हैं और जब यह अंतर 0 या 360 डिग्री का होता है, तो उस समय को अमावस्या कहते हैं। एक महीने में लगभग 30 तिथियाँ होती हैं। 15 कृष्ण पक्ष की और 15 शुक्ल पक्ष की होती हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं 1 प्रतिपदा, 2 द्वितीया, 3 तृतीया, 4 चतुर्थी, 5 पंचमी, 6 षष्ठी, 7 सप्तमी, 8 अष्टमी, 9 नवमी, 10 दशमी, 11 एकादशी, 12 द्वादशी, 13 त्रयोदशी, 14 चतुर्दशी और 15 पूर्णिमा, इसे शुक्ल पक्ष कहते हैं। कृष्ण पक्ष में ये 14 तिथियाँ होती हैं, केवल अंतिम तिथि को पूर्णिमा के बजाय अमावस्या कहा जाता है। वार
एक सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक की अवधि को एक दिन कहा जाता है। सात दिन होते हैं। 1. रविवार, 2. सोमवार, 3. मंगलवार, 4. बुधवार, 5. गुरुवार, 6. शुक्रवार और 7. शनिवार।
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नक्षत्र
तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। नक्षत्रों की संख्या 27 है। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 9 चरणों के मेल से एक राशि बनती है। 27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं, 1. अश्विनी 2. भरणी 3. कृत्तिका 4. रोहिणी 5. मृगशिरा 6. आद्रा 7. पुनर्वसु 8. पुष्य 9. आश्लेषा 10. मघा 11. पूर्वाफाल्गुनी 12. उत्तराफाल्गुनी 13. हस्त 14. चित्रा 15. स्वाति 16. विशाखा 17. अनुराधा 18. ज्येष्ठा 19. मूल 20. पूर्वाषाढ़ा 21. उत्तराषाढ़ा 22. श्रवण 23. धनिष्ठा 24. शतभिषा 25. पूर्वाभाद्रपद 26. उत्तराभाद्रपद 27. रेवती। योग
सूर्य और चंद्रमा की युति से योग बनता है, इनकी संख्या भी 27 है। उनके नाम इस प्रकार हैं- 1. विष्कुम्भ, 2. प्रीति, 3. दीर्घायु, 4. सौभाग्य, 5. शोभन, 6. अतिगण्ड, 7. शुभ कर्म, 8. घी, 9. शूल, 10. गण्ड, 11. वृद्धि, 12. ध्रुव, 13. व्याघात, 14. हर्षल, 15. वंक, 16. सिद्धि, 17. व्यतिपात, 18. वरीयान, 19. परिधि, 20. शिव, 21. सिद्ध, 22. साध्य, 23. शुभ, 24. शुक्ल, 25. ब्रह्मा, 26. ऐन्द्र, 27. वैघृति। करण: तिथि का आधा भाग करण कहलाता है, अर्थात एक तिथि में दो करण होते हैं। करण के नाम इस प्रकार हैं: 1. बव, 2. बलव, 3. कौलव, करण
तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं यानि एक तिथि में दो करण होते हैं। करणों के नाम इस प्रकार हैं 1. बव, 2.बालव, 3.कौलव, 4.तैतिल, 5.गर, 6.वणिज्य, 7.विष्टी (भद्रा), 8.शकुनि, 9.चतुष्पाद, 10.नाग, 11.किंस्तुघन।