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Gajkesari Yog: क्या है गजकेसरी योग? कैसे होते हैं इस योग के जातक,जानें पूरी जानकारी

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 24 Apr 2024 07:03 PM IST
सार

Gajkesari Yog: वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के योगों की व्याख्या की गई है और यह योग व्यक्ति की जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने का कार्य भी करते हैं।

Gajkesari Yog: गजकेसरी योग
Gajkesari Yog: गजकेसरी योग- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Gajkesari Yog: वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के योगों की व्याख्या की गई है और यह योग व्यक्ति की जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने का कार्य भी करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक राजयोग के बारे में बताने जा रहे हैं जो व्यक्ति की कुंडली में विद्यमान होने पर उसे राजा के समान वैभव प्राप्त करवाता है और उस योग का नाम है गजकेसरी योग। अब सबसे पहले यह समझते हैं कि गजकेसरी योग बनता कैसे है ?
 
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Gajkesari Yog: गजकेसरी योग का महत्व
Gajkesari Yog: गजकेसरी योग का महत्व- फोटो : JEEVANJALI
गजकेसरी योग का महत्व

गजकेसरी योग हाथी और सिंह के संयोग से बनता है। हम जानते हैं कि हाथी में अपार शक्ति होती है और सिंह में अदम्य साहस होता है। इस प्रकार यह योग कुंडली में बनने वाले सभी लोगों में सबसे प्रबल होता है और इस योग में बृहस्पति और चंद्रमा की भूमिका होती है। ज्योतिष के ग्रंथों में यह लिखा गया है की कुंडली में गजकेसरी योग तब बनेगा, अगर लग्न, चौथे और दशम भाव में बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ विराजमान हो जाए। इस योग की दूसरी शर्त यह भी है कि अगर चंद्रमा गुरु से केंद्र में हो या फिर चंद्रमा पर बृहस्पति की कोई एक दृष्टि जा रही हो तो भी यह योग बन जाता है। 

बृहस्पति की तीन दृष्टि होती हैं। पंचम, सप्तम और नवम। यानी कि बृहस्पति जिस भाव में बैठेगा उस भाव में बैठकर वह वहां से पांचवें, सातवें और नवें भाव को देखेगा और अगर बृहस्पति ने चंद्रमा पर दृष्टि डाल दी तो भी विद्वानों का यह मानना है कि गजकेसरी योग बन जाता है। लेकिन अनुभव में यह देखा गया है की पूर्ण गजकेसरी योग तभी बनता है जब बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ विराजमान हो और इनमें से कोई एक ग्रह उच्च का हो जाए।  
कैसे होते है गजकेसरी योग के जातक?
कैसे होते है गजकेसरी योग के जातक?- फोटो : JEEVANJALI
कैसे होते है गजकेसरी योग के जातक?

उदाहरण के लिए मेष लग्न की कुंडली में अगर चौथे भाव में उच्च का बृहस्पति चंद्रमा के साथ बैठेगा तो यह सबसे बलवान गजकेसरी योग होगा लेकिन अगर यही योग वृष लग्न की कुंडली में बनेगा तो यह बलवान नहीं होगा क्योंकि गुरु की मूल त्रिकोण राशि अष्टम भाव में आ जाती है। वही मेष लग्न में धनु राशि भाग्य स्थान की स्वामी हो जाती है। गजकेसरी योग जब व्यक्ति के प्रथम भाव में, चतुर्थ भाव में और दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय में, अपने करियर में अथाह तरक्की करता है। उसे भूमि भवन और वाहन का अतुलनीय सुख प्रदान होता है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग के जो जातक होते हैं वह बहुत साहसी और अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित होते हैं। बलवान, बुद्धिमान, अदम्य साहस और अपने क्षेत्र में कुछ ऐसा कर गुजर जाते हैं की इतिहास उन्हें याद रखता है। बृहस्पति चूँकि धन का कारक है इसलिए गजकेसरी योग के जातक को बहुत धन की प्राप्ति होती है। वह अपने जीवन की हर महत्वाकांक्षा पूरी कर पाता है। ज्योतिष शास्त्र यह भी कहता है कि जिस भाव में बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ बैठे हैं उस भाव से संबंधित सभी शुभ फल व्यक्ति को प्रदान करते हैं। 

अगर बृहस्पति और चंद्रमा दशम भाव में विराजमान है तो ऐसा व्यक्ति अपने व्यवसाय में ऊंचाइयों को प्राप्त करता है। वह अपने जीवन की हर इच्छा को पूरी करने में सक्षम हो जाता है। इसके अलावा वह अपने परिवार के सदस्यों को भी उनके जीवन में बहुत मदद करता है। ज्योतिष के ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि अगर उच्च का बृहस्पति गजकेसरी योग में विद्यमान हो तो ऐसे व्यक्ति को अपने समाज में एक राजा के समान सम्मान की प्राप्ति होती है। सब उसका आदर करते हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का यह कहना है कि जब व्यक्ति की कुंडली में गजकेसरी योग बनता है तो उसे मजबूत करने के लिए उसे बलवान करने के लिए व्यक्ति को भगवान शंकर की साधना करनी चाहिए। गजकेसरी योग में जन्म लेने वाला जातक अगर भगवान शंकर की साधना करता है तो ऐसा माना जाता है कि संसार में उसके लिए कोई भी चीज दुष्कर नहीं होती

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