विज्ञापन
Home  mythology  ram katha  the news of king dashrath s death spread like fire read what happened next

Valmiki Ramayana Part 138: आग की तरह फैल गया राजा दशरथ की मृत्यु का समाचार, पढ़ें आगे क्या हुआ?

जीवांजलि धार्मिक डेस्क Published by: निधि Updated Sat, 25 May 2024 01:05 PM IST
सार

Valmiki Ramayana: वाल्मीकि रामायण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि राजा दशरथ में श्री राम को याद करते हुए अपने प्राण का त्याग कर दिया।

Valmiki Ramayana Part 138
Valmiki Ramayana Part 138- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Valmiki Ramayana: वाल्मीकि रामायण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि राजा दशरथ में श्री राम को याद करते हुए अपने प्राण का त्याग कर दिया। वहीं अगली सुबह उनकी सेवा के लिए जब लोग आये तो राजा को महल के भीतर न देखकर उनके मन में भय और शंका दोनों पैदा हो गई। तदनन्तर जो कोसलनरेश दशरथके समीप रहने वाली स्त्रियाँ थीं, वे उनकी शय्या के पास जाकर अपने स्वामी को जगाने लगीं। वे स्त्रियाँ उनका स्पर्श आदि करने के योग्य थीं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


अतः विनीतभाव से युक्तिपूर्वक उन्होंने उनकी शय्या का स्पर्श किया। स्पर्श करके भी वे उनमें जीवन का कोई चिह्न नहीं पा सकीं। सोये हुए पुरुष की जैसी स्थिति होती है, उसको भी वे स्त्रियाँ अच्छी तरह समझती थीं। अतः उन्होंने हृदय एवं हाथ के मूलभाग में चलने वाली नाड़ियों की भी परीक्षा की। किंतु वहाँ भी कोई चेष्टा नहीं प्रतीत हुई फिर तो वे काँप उठीं। उनके मन में राजा के प्राणों के निकल जाने की आशङ्का हो गयी। 

कौसल्या ने सुनी जब पुत्र शोक की खबर?

पुत्र शोक से आक्रान्त हुई कौसल्या और सुमित्रा उस समय मरी हुई के समान सो गयी थीं और उस समय तक उनकी नींद नहीं खुल पायी थी। सोयी हुई कौसल्या श्रीहीन हो गयी थीं। उनके शरीर का रंग बदल गया था। वे शोक से पराजित एवं पीड़ित हो अन्धकार से आच्छादित हुई तारिका के समान शोभा नहीं पा रही थीं। उस समय उन दोनों देवियों को निद्रामग्न देख अन्तःपुर की अन्य स्त्रियों ने यही समझा कि सोते अवस्था में ही महाराज के प्राण निकल गये हैं। फिर तो जैसे जंगल में यूथपति गजराज के अपने वासस्थान से अन्यत्र चले जाने पर हथिनियाँ करुण चीत्कार करने लगती हैं, उसी प्रकार वे अन्तःपुर की सुन्दरी रानियाँ अत्यन्त दुःखी हो उच्चस्वर से आर्तनाद करने लगीं। 
विज्ञापन


उनके रोने की आवाज से कौसल्या और सुमित्रा की भी नींद टूट गयी और वे दोनों सहसा जाग उठीं। कौसल्या और सुमित्रा ने राजा को देखा, उनके शरीर का स्पर्श किया और ‘हा नाथ’ की पुकार मचाती हुई वे दोनों रानियाँ पृथ्वी पर गिर पड़ीं। तदनन्तर पीछे आयी हुई महाराज की कैकेयी आदि सारी रानियाँ शोक से संतप्त होकर रोने लगी और अचेत होकर गिर पड़ीं। उन क्रन्दन करती हुई रानियों ने वहाँ पहले से होने वाले प्रबल आर्तनाद को और भी बढ़ा दिया। उस बढ़े हुए आर्तनाद से वह सारा राजमहल पुनः बड़े जोर से गूंज उठा। 

कालधर्म को प्राप्त हुए राजा दशरथ का वह भवन डरे, घबराये और अत्यन्त उत्सुक हुए मनुष्यों से भर गया। सब ओर रोने-चिल्लाने का भयंकर शब्द होने लगा। वहाँ राजा के सभी बन्धु-बान्धव शोक-संताप से पीड़ित होकर जुट गये। वह सारा भवन तत्काल आनन्द शून्य हो दीन-दुःखी एवं व्याकुल दिखायी देने लगा। उन यशस्वी भूपालशिरोमणि को दिवङ्गत हुआ जान उनकी सारी पत्नियाँ उन्हें चारों ओर से घेरकर अत्यन्त दुःखी हो जोर-जोर से रोने लगी और उनकी दोनों बाँहें पकड़कर अनाथ की भाँति करुण-विलाप करने लगीं।
विज्ञापन